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सरकारी स्‍कूल के पास पड़ा था तेंदुए का शव, गांव में दहशत, जिंदा समझ लोग घरों में दुबके

यमुनानगर के उत्तमवाला गांव में एक तेंदुआ पड़ा हुआ था। लोगों ने देखा तो डर के मारे घर में कैद हो गए। काफी देर बाद पता चला कि तेंदुआ मर चुका था।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 06:51 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 03:43 PM (IST)
सरकारी स्‍कूल के पास पड़ा था तेंदुए का शव, गांव में दहशत, जिंदा समझ लोग घरों में दुबके
सरकारी स्‍कूल के पास पड़ा था तेंदुए का शव, गांव में दहशत, जिंदा समझ लोग घरों में दुबके

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। शिवालिक की पहाडिय़ों के सटे बिलासपुर कस्बे के गांव उत्तमवाला में तेंदुए होने की सूचना से हड़कंप मच गया। घरों के गेट बंद हो गए। तेंदुआ सरकारी स्कूल के पास पड़ा हुआ था। काफी देर तक जब उसमें कोई हरकत नहीं हुई तो कुछ लोग उसके पास गए। पता चला कि वह तो मृत पड़ा है। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। 

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ग्रामीण मेम सिंह ने बताया कि सुबह छह बजे वह अपने खेतों की ओर जा रहे थे। जब वह सरकारी स्कूल को पार कर कच्चे रास्ते पर आया, तो सामने घास में तेंदुआ पड़ा हुआ था। उसे देखकर वह डर गया। गांव में सूचना फैलते ही लोग घर में छिप गए। आधे घंटे तक ग्रामीण तेंदूआ से दूर रहे।  काफी देर तक दूर खड़े ग्रामीण उसे देखते रहे। उस पर पत्थर व डंडे भी फेंककर मारे गए, लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। इसके बाद उसके पास गए, तो वह मृत पड़ा मिला।

कई बार फोन किए, फिर आए अफसर
सुबह करीब साढ़े छह बजे ग्रामीणों ने इस बारे में वन्य प्राणी जीव विभाग को सूचना दे दी थी, लेकिन नौ बजे तक कोई भी कर्मचारी व अधिकारी नहीं पहुंचा। कई बार फोन किए गए, तो अधिकारी पहुंचे और शव को कब्जे में लिया। गांव के मदनलाल, नसीब सिंह, खेमचंद, सुल्तान सिंह, राजेश, जयसिंह, निर्मल सिंह ने बताया कि तेंदुआ पिछले कई दिनों से क्षेत्र में सक्रिय था। कई पालतू पशुओं और कुत्तों का शिकार किया था। इस बारे में वन विभाग को सूचना दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

दो माह में आधा दर्जन हमले कर चुका था तेंदुआ
तेंदुआ की करीब दो माह से गांव में दहशत थी। गांव के ही राजबीर की बछड़ी, मदन का कटड़ा, पहल ङ्क्षसह का बछड़ा, पवन का जर्मन शेफर्ड कुत्ता, स्ट्रीट डॉग को भी शिकार बनाया। घाड़ सघर्ष समिति के प्रधान सुलतान सिंह काठगढ़ का कहना है कि जंगली जानवर घाड़ क्षेत्र में लोगों के पशुओं को मारकर खा रहे हैं। यह जंगलों से निकलकर यहां आ जाते हैं, क्योंकि खेतों के समीप जंगलों में कोई भी तारबंदी नहीं की गई। इन जंगली जानवरों के लिए पहाडिय़ों में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कारण गर्मी में यह मैदानी क्षेत्र में आने को मजबूर होते हैं।  

शिकारी ने किया तेंदुए का शिकार
ग्रामीणों ने बताया कि तेंदुए के गले और कमर पर गहरे घाव के निशान हैं। शिकारियों के हमले में यह तेंदूआ घायल हुआ होगा। शिकारियों से बचने के चक्कर में घायल अवस्था में गांव की ओर आया होगा। रात भर यहां पड़े रहने से उसकी मौत हो गई होगी। वहीं  वन्य प्राणी जीव जंतु विभाग के अधिकारी राजेश चैहल ने बताया कि उन्हें तेंदुआ की मौत की सूचना मिली थी। तुरंत कर्मचारियों को मौके पर भेजा गया। तेंदूआ का शव पोस्टमार्टम के लिए छतबीड भिजवाया गया है। अभी मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। 


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