सिविल अस्पताल की एनसीडी यूनिट में नहीं हृदय रोगियों का डाटा
सिविल अस्पताल में अगस्त-2018 में खुली एनसीडी (नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज) यूनिट में हृदय रोग पीड़ितों का डाटा नहीं रखा जाता। यूं कहिए कि इस यूनिट में एक साल में कोई मरीज जांच कराने नहीं पहुंचा है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल में अगस्त-2018 में खुली एनसीडी (नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज) यूनिट में हृदय रोग पीड़ितों का डाटा नहीं रखा जाता। यूं कहिए कि इस यूनिट में एक साल में कोई मरीज जांच कराने नहीं पहुंचा है। एनपीसीडीसीएस (नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर डायबिटीज कार्डियोवस्क्यूलर डिजीज एंड स्ट्रोक) कार्यक्रम के तहत जून-2019 में शुरू हुए पीबीएस (पापुलेशन बेस्ड स्क्रीनिग) सर्वे भी दम तोड़ता दिख रहा है।
जिले में अनुमानित 120 हृदय रोगी समय पर इलाज नहीं मिलने पर दम तोड़ जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग हरियाणा की तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर(नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज) डॉ. रेखा सिंह की फटकार के बाद सिविल अस्पताल में 6 अगस्त 2018 को एनसीडी यूनिट शुरू की गई थी। इसमें हृदय रोग, कैंसर, रक्तचाप, शुगर, स्ट्रोक के मरीजों को इलाज मिलना था। यह यूनिट शुगर और रक्तचाप जांच तक सिमटकर रह गई है।जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. शशि गर्ग के मुताबिक हृदय रोग पीड़ित एक भी मरीज न चिन्हित किया गया और न रेफर हुआ। आशा वर्कर्स को घर-घर जाकर हृदय रोग, कैंसर, रक्तचाप, शुगर, स्ट्रोक के संभावित मरीजों का डाटा जुटाना था।
संभावित मरीजों को सीएचसी-पीएचसी या सिविल अस्पताल स्थित एनसीडी यूनिट में भेजना था। सर्वे के दौरान किस रोग के कितने मरीज सामने आए और कितनों को अस्पताल पहुंचाया, यह डाटा भी विभागीय अधिकारियों के पास नहीं है। एएनएम को ट्रेनिग तक नहीं दी जा सकी है। अस्पताल में फिजिशियन की नियुक्ति भी नहीं है। चालीस फीस लोग हृदय रोग पीड़ित : डॉ. संजीव
प्रेम अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव शर्मा ने बताया हार्ट अटैक का कारण जेनेटिक भी है। करीब चालीस फीसद लोग हृदय रोग से पीड़ित हैं। 30 से 40 साल की आयु में हृदय रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या 20 फीसद है। उन्होंने दो टूक कहा कि हार्ट अटैक से बचना है तो खानपान और जीवनशैली में सुधार लाना होगा। पैदल चलने, कठिन काम करने पर सीने में दर्द, थकान और अधिक पसीना आना जैसे लक्षण दिखें तो विशेषज्ञ से परामर्श लें। एडवांस्ड रोटाबलेशन सहित तमाम आधुनिक तकनीक बड़े अस्पतालों में उपलब्ध है। नब्बे फीसद मामलों में मरीज की जान बच जाती है। एक नजर इधर भी :
-सुबह-शाम पैदल चलें या आधा घंटा व्यायाम करें।
-भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम कर लें।
-ताजे फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें।
-तनावमुक्त जीवन जीएं।
-बीड़ी-सिगरेट और हुक्का पीना बंद कर दें।
-देर रात तक न जागें, भरपूर नींद लें।
-शुगर और मोटापा पर कंट्रोल रखें।
-तैलीय खाद्य सामग्री से परहेज करें।