हरियाणा सरकार को करोड़ों का फटका, शराब कारोबारियों से ब्याज सहित हो सकती है रिकवरी
आबकारी विभाग की 1082 एंट्री फेल होने से करोड़ों रुपये अटक गए हैं। हरियाणा के कलेक्टर (एक्साइज) कम-ज्वाइंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर को सात दिन में नहीं दे सकेंगे अधिकांश अधिकारी रिपोर्ट। जांच बिठाई तो शराब कारोबारियों से ब्याज सहित होगी रिकवरी।
अंबाला, [दीपक बहल]। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की इसे सुस्ती कहें या लापरवाही। राज्य सरकार का करोड़ों रुपये अटक गया लेकिन अधिकारी निर्धारित समय में रिकार्ड खंगाल रिकवरी नहीं कर सकेंगे। शराब कारोबारियों और फैक्टरियों की करीब 1082 आनलाइन एंट्री फेल होने के बाद करोड़ों रुपया बकाया निकल गया। एंट्री फेल से राज्य सरकार के खजाने में करीब 439 करोड़ रुपये को लेखा-जोखा नहीं मिल रहा।
जांच में होगा खुलासा
एंट्री फेल होना तकनीकी खराबी या फिर ठेकेदारों पर मेहरबानी, इसका खुलासा जांच के बाद ही होगा। हालांकि, 439 करोड़ रुपये के आंकड़े की अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन इसको लेकर राज्य के सभी जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त (डीईटीसी) रिकार्ड खंगाल रहे हैं।
मुख्यालय ने रिमांइडर भेजा
अधिकारी यह भी बताने को तैयार नहीं है कि 1082 आनलाइन एंट्री फेल होने से कितने करोड़ों रुपये अटक गए हैं। कुल मिलाकर जांच के बाद ही अब सच सामने आएगा। फिलहाल मुख्यालय ने सभी डीईटीसी को रिमाइंडर भेजकर फिर से जानकारी मांगी है। हरकत में आये कुछ अधिकारियों ने प्रापर्टी अटैच करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है लेकिन फेल एंट्री का आंकड़ा बहुत बड़ा है।
सभी जिलों की एंट्री फेल
बता दें कि आबकारी एवं कराधान विभाग के कलेक्टर (एक्साइज)-कम-ज्वाइंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर ने 20 जुलाई 2022 को राज्य के सभी जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त (डीईटीसी) को पत्र लिखा था। इस पत्र के साथ सभी जिलों की एंट्री फेल और कितना रुपया है, इसका आंकड़ा दिया गया था। निर्देश दिए यदि बकाया निकलता है तो ठेकेदारों की से ब्याज सहित रिकवरी की जाए।
सबसे ज्यादा यहां का बकाया
इन आदेशों के बाद अफसरशाही ही नहीं बल्कि शराब कारोबार से जुड़े ठेकेदारों में भी हड़कंप की स्थिति है। इनमें सबसे ज्यादा कुरुक्षेत्र, जगाधरी अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पंचकूला में हैं। सूत्रों का कहना है कि निर्धारित समय में अधिकारी बकाया वसूल करने में कामयाब नहीं हो सकें। इसके बाद मुख्यालय से भी कोई पत्राचार नहीं हुआ। दैनिक जागरण ने इस मामले का पर्दाफाश किया तो अधिकारियों को रिमाइंडर जरूर भेज दिया गया।
439 करोड़ रुपये का बकाया
अब यह मामला बहुत पेचीदा हो गया है। विभाग के अधिकारी 439 करोड़ रुपये के बकाये की अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं कर रहे जिस कारण सच सामने नहीं आ रहा। यह मामला राज्य सरकार तक पहुंच चुका है। माना जा रहा है कि इस मामले में जल्द ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा सकता है। दूसरी ओर जिला स्तर पर रिकवरी करने के लिये अधिकारी चेक कर रहे हैं किस-किस ठेकेदार की रिकवरी निकली है और उसकी कौन सी प्रापर्टी कब्जे में हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ ठेकेदारों ने नाम बदलकर भी ठेके लिये हैं ऐसे में अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है।
एल-1, एल-13 और रिटेल लाइसेंसी फीस जमा नहीं हुई
मुख्यालय ने सभी अधिकारियों से फिर से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। सीआइएन नंबर जो बैंक ने जैनरेट किया था, बाद में उसे फेलियर दिखाया हुआ है। ऐसे में विभाग मान रहा है कि शराब कारोबारियों की लाइसेंसी फीस तथा एल-1, एल-13 और रिटेल लाइसेंसी फीस जमा नहीं हुई होगी, जिसको लेकर जिला स्तर पर रिकार्ड चेक किया जा रहा है। सभी अधिकारी आनलाइन और कार्यालय रिकार्ड का मिलान कर रहे हैं कि कहीं यह तकनीकी गलती तो रही या फिर किसी कारोबारी ने फायदा उठाकर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाया हो।