किसानों पर संकट, यमुना के सूखने से घट रहा जलस्तर, जानिए यमुनानगर में ही ये समस्या क्यों
यमुनानगर में किसानों पर संकट मंडरा रहा है। यमुना नहर के सूखने की वजह से जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। रादौर में तो करीब दो से चार फीट तक जलस्तर नीचे चला गया है।
यमुनानगर, जेएनएन। हमीदा हेड से आगे पश्चिमी यमुना नहर में दो साल से सिंचाई विभाग ने पानी नहीं छोड़ा है। जबकि यमुना नहर क्षेत्र के किसानों की जीवन रेखा है, लेकिन अब यह सूखी पड़ी है। नहर के सूखने से क्षेत्र के जलस्तर पर बुरा असर पड़ रहा है।
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सूखी नहर के कारण रादौर क्षेत्र में जलस्तर दो से चार फीट तक नीचे चला गया है। जिससे अब किसानों के टयूबवेलों ने पानी देना कम कर दिया है। टयूबवेलों द्वारा कम पानी दिए जाने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। अब गेहूं पकने को है। इसके बाद किसान धान की रोपाई में लग जाएंगे। परंतु किसानों को अभी से धान के लिए पानी की चिंता सताने लगी है।
दो साल से नहर में नहीं पानी
क्षेत्र के किसान रामशरण, मदनलाल, अर्जुन सिंह, धर्मेंद्र, विजयपाल, कर्मवीर ने बताया कि सालों से पश्चिमी यमुना नहर क्षेत्र के जलस्तर को बरकरार रखने का काम कर रही है। नहर की वजह से ही क्षेत्र का किसान खुशहाल है। लेकिन जब से पश्चिम यमुना नहर सूखी रहने लगी है तब से क्षेत्र का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। नहर में केवल मानसून के सीजन में ही पानी छोड़ा जाता है।
मानसून के सीजन में नहर में पानी छोड़ने पर जलस्तर में काफी वृद्धि हो जाती है। जिसके बाद उनके टयूबवेलों का पानी भी बहुत बढ़ जाता है। लेकिन अब स्थिति काफी गंभीर हो गई है। हर वर्ष जलस्तर सूखी नहर के कारण नीचे जा रहा है। यदि इसी प्रकार नहर साल में 10 महीने सूखी रही तो एक दिन क्षेत्र में जल संकट गहरा जाएगा और डार्क जोन में शामिल हो जाएगा। उनकी मांग है कि सरकार समय-समय पर पश्चिमी यमुना नहर में पानी छोड़कर क्षेत्र के जलस्तर को बनाए रखने में सहयोग करें अन्यथा सूखी नहर के कारण एक दिन क्षेत्र मरुस्थल बन जाएगा।
नहर को पक्का कर रहा विभाग
सिंचाई विभाग पश्चिमी यमुना नहर को पक्का कर रहा है। इसके किनारों पर कलेसर तक पत्थरों से स्टड बनाए जाने हैं। हमीदा हेड से रादौर क्षेत्र की तरफ पत्थर लगाने का काम चल रहा है। जिस कारण हमीदा हेड से नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा। क्योंकि पानी छोड़ने से काम प्रभावित होगा। वहीं इस वक्त यमुना नदी में भी इतना पानी नहीं है कि नहर में छोड़ा जा सके। हथनीकुंड बैराज पर यमुना नदी में औसत 2100 क्यूसेक पानी ही दर्ज किया जा रहा है। वहां से नदी का पानी बंद कर पश्चिमी यमुना नहर में छोड़ा जाता है। हमीदा हेड से आवर्धन नहर निकलती है। इसलिए नहर में आना वाला सारा पानी आवर्धन नहर में छोड़ा जा रहा है। यह पानी करनाल समेत अन्य जिलों से होता हुआ आगे बढ़ता है। परंतु इसी तरह यदि नहर सूखी रही तो जलस्तर पर काफी असर पड़ जाएगा।