जींद में जिन गायों की कद्र ना कर मालिकों ने बेसहारा छोड़ा, वे नंदीशाला में दे रही दूध
जींद शहर में करीब 4 साल पहले 4000 से ज्यादा गोवंशी बेसहारा सड़कों पर घूम रहे थे। इससे हादसे बढ़ने लगे थे और गोवंशी भी सड़क दुर्घटनाओं में बेमौत मर रहे थे। प्रशासन ने बेसहारा गोवंशी को आश्रय देने के लिए अस्थाई नंदीशाला बनाई।
जींद, जागरण संवाददाता। जींद के पुराने हांसी रोड पर बनी नंदीशाला, जो शहर में घूम रहे बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के लिए बनाई गई है। यहां करीब 1000 गोवंशी है। पिछले 3 साल से नंदीशाला के संचालन में प्रशासन का तो सहयोग नहीं मिल रहा है, दानी सज्जनों के सहारे यहां की व्यवस्था चल रही है और नंदीशाला प्रबंधन कमेटी ने नंदीशाला को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए जो गाय कुछ समय पहले तक सड़कों पर बेसहारा घूमती थी। उनमें कुछ दूध देने वाली थी, तो कुछ की डिलीवरी होने वाली थी।
दूध देने वाली गायों का दूध निकालकर नंदीशाला प्रबंधन कमेटी की तरफ से बेचना शुरू कर दिया गया है। अभी शुरुआत में 9 लीटर दूध बिक रहा है। करीब 11 लीटर दूध और बिक सकता है। आने वाले दिनों में 20 से 30 लीटर दूध की सेल प्रतिदिन इस नंदीशाला से होने लगेगी। नंदीशाला प्रबंधन कमेटी का लक्ष्य है कि आने वाले कुछ महीनों में दूध की सेल प्रतिदिन 100 लीटर तक पहुंचाई जाए, ताकि नंदीशाला आत्मनिर्भर बने।
बछड़ों व बछड़ियों के लिए बने है अलग खोर
नंदीशाला प्रबंधन कमेटी के सचिव जयभगवान ने बताया कि नंदीशाला में गायों के बछड़ों व बछड़ियों के लिए अलग से खोर बना रहे हैं। जिन गायों को लोग दूध ना देने पर छोड़ देते हैं। ऐसी गाय नंदीशाला में हैं। ये गाय डिलीवरी के बाद दूध दे रही हैं। भविष्य में नंदीशाला में अच्छी नस्ल की गाय तैयार की जाएंगी, जो ज्यादा दूध दें। इससे गौ माता की कद्र तो बढ़ेगी, साथ ही नंदीशाला भी आत्मनिर्भर होगी।
गोवंशों को बेसहारा छोड़ देते है लोग
बता दें कि जींद शहर में करीब 4 साल पहले 4000 से ज्यादा गोवंशी बेसहारा सड़कों पर घूम रहे थे। इससे हादसे बढ़ने लगे थे और गोवंशी भी सड़क दुर्घटनाओं में बेमौत मर रहे थे। प्रशासन ने बेसहारा गोवंशी को आश्रय देने के लिए जयंती देवी मंदिर के सामने पशुपालन विभाग की जमीन पर अस्थाई नंदीशाला बनाई। वहीं पुराने हांसी रोड पर भी नंदीशाला बनाई गई। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा गोवंशी में ज्यादातर वह गाय होती हैं, जिन्हें दूध नहीं देने पर उनके मालिक बेसहारा सड़कों पर छोड़ देते हैं।
इन गायों के साथ-साथ उनके बछड़े और बछड़ियों को भी छोड़ देते हैं। जो चारा नहीं मिलने की वजह से मजबूरी में पॉलिथीन और कचरा खाते हैं। इन गोवंशी को प्रशासन द्वारा नंदीशाला में भेजा जाता है। नंदीशाला में सबसे बड़ी दिक्कत इनके चारे की रहती है। क्योंकि प्रशासन की तरफ से चारे के लिए नंदीशाला को कोई मदद नहीं दी जाती। दानी-सज्जनों के सहारे ही यहां चारे की व्यवस्था होती है।