भाला फेंकने में देश जीते मेडल..इसलिए बॉल थ्रो से तैयार होंगे खिलाड़ी
पहली बार लड़के और लड़कियों का अंडर-14 बॉल थ्रो खेल शामिल किया है। इस खेल के एथलीट पहली बार 6 से 10 फरवरी को गुवाहाटी में होने वाली 36 नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दमखम दिखाएंगे।
विजय गाहल्याण, पानीपत
जर्मनी की तरह अपने देश में भी जैवलिन थ्रो के एथलीट तैयार किए जाएंगे। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने ग्रास रूट से इसकी रूपरेखा तैयार की है। जैवलीन थ्रो को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस खेल के प्रति बच्चों का रूझान बढ़ाने पर जोर रहेगा। इस मुहिम में पहली बार लड़के और लड़कियों का अंडर-14 बॉल थ्रो खेल शामिल किया है। इस खेल के एथलीट पहली बार 6 से 10 फरवरी को गुवाहाटी में होने वाली 36वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दमखम दिखाएंगे। मुकाबले को लेकर प्रदेश के एथलीट उत्साहित हैं।
प्रदेश के नामचीन जैवलीन थ्रोअर व डीपीई फतेहाबाद के बण गांव के हनुमान सिंह गांव में ही लड़कियों को निशुल्क जैवलीन थ्रो की ट्रेनिग देते हैं। उन्होंने बताया कि अंडर-14 के लड़के और लड़कियों के लिए जैवलीन थ्रो करना खतरनाक होता है। उन्हें चोट लग सकती है। बॉल थ्रो करने में चोट लगने का खतरा नहीं है।
उन्होंने बताया कि बण गांव की मानसी उर्फ भतेरी जैवलीन थ्रोअर है। मानसी को बॉल थ्रो की 15 दिन की ट्रेनिग दी थी। मानसी ने 16 से 17 जनवरी को करनाल में हुई राज्यस्तरीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 49 मीटर बॉल थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता। मानसी राष्ट्रीय बॉल थ्रो में भी पदक जीतेगी।
ऐसे खेला जाता है बॉल थ्रो
भारतीय खेल प्राधिकरण के सेवानिवृत्त एथलेटिक्स कोच ओपी सिमाहर ने बताया कि जैवलीन थ्रो 16 साल के एथलीट खेलते हैं। जैवलीन का वजन 600 ग्राम होता है। बॉल थ्रो इवेंट की बॉल 159 ग्राम की होगी। जैसे जैवलीन थ्रो की जाती है, उसी तकनीक से बॉल थ्रो की जाती है। ये जैवलीन थ्रो का ही प्रारंभिक रूप है।
----------------
देश में नीरज चोपड़ा, राजेंद्र नैन, शिवपाल, देवेंद्र कंग सहित 15 से ज्यादा एथलीट 80 मीटर से ज्यादा जैवलीन थ्रो करते हैं। इस इवेंट में देश का भविष्य उज्ज्वल है। इस खेल को बढ़ावा देने के लिए बॉल थ्रो प्रतियोगिता शुरू की जाएगी।
राजकुमार मिटान, सह सचिव, भारतीय एथलेटिक्स महासंघ