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कोरोनाकाल में सैनिटाइजेशन कार्य में गड़बड़ी, एक्सईएन और एसएओ तलब

पानीपत में कोरोनाकाल में सैनिटाइजेशन वर्क में गड़बड़ी मिली है। इसे मुख्य सतर्ककता आयुक्त व अतिरिक्त निदेशक ने ई मेल शिकायत पर संज्ञान लेकर एक्‍सईएन और एसएओ को तलब किया

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 09:05 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 09:05 AM (IST)
कोरोनाकाल में सैनिटाइजेशन कार्य में गड़बड़ी, एक्सईएन और एसएओ तलब
कोरोनाकाल में सैनिटाइजेशन कार्य में गड़बड़ी, एक्सईएन और एसएओ तलब

पानीपत, जेएनएन। कोरोना लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजेशन कार्य के खर्च की जांच शुरू हो गई है। निगम के एक्सईएन और वरिष्ठ लेखाधिकारी को तलब किया गया है। रिकार्ड के साथ उनसे जवाब मांगा गया। जांच में गड़बड़ी साबित होने पर शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय इन अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा।

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कोरोना महामारी का संक्रमण रोकने के लिए नगर निगम की तरफ से शहर के 26 वार्डों में ट्रैक्टर ट्रालियों पर मशीन के सहारे पूरे शहर को कई चरणों में सैनिटाइज किया गया। सैनिटाइजेशन वर्क के दौरान ट्रैक्टर ट्रालियों के रेट भुगतान में भ्रष्टाचार की आशंका जाहिर की गई। वैभव देसवाल ने दैनिक जागरण समाचार पत्र में 20 व 21 मई के अंक में प्रकाशित खबर ई मेल से भेज कर निदेशालय के अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाया। इस कार्य का पेमेंट रोकने सहित सीएम फ्लाइंग टीम से जांच कराने की मांग की। मुख्य सतर्कता अधिकारी व अतिरिक्त निदेशक ने पानीपत निगम के सैनिटाइजेशन वर्क प्रभारी कार्यपालक अभियंता और वरिष्ठ लेखाधिकारी को पंचकूला सेक्टर 4 स्थित कार्यालय में बुलाकर इंक्वायरी की है। साक्ष्य के तौर पर इन अधिकारियों से रिकार्ड लेकर निदेशालय में जमा करा दिए।

निगम ने 61.67 लाख का मांगा था बजट 

 निगम कार्यालय से कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आवश्यक संसाधनों का 61 लाख 73 हजार 062 रुपये का बजट बना कर महानिदेशक शहरी स्थानीय निकाय पंचकूला को भेजा गया था। इसमें ट्रैक्टर ट्राली, डीजल ड्राइवर व स्प्रे मशीन सहित डीसी रेट 900 रुपये प्रतिदिन बताया गया। आठ घंटे के हिसाब से सैनिटाइज किया जाना था। शहर में 23 ट्रैक्टर ट्रालियां प्रतिदिन की जरूरत बताई गई। इस हिसाब से ट्रैक्टर ट्राली का 49.68 लाख का बजट था।  

नोडल अधिकारी की नाराजगी पड़ी भारी

लॉकडाउन के दौरान पानीपत में तैनात किए नोडल अधिकारी ने तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ओमप्रकाश की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई थी। निगम के नियमों की अनदेखी कर बजट से कई गुणा ज्यादा इस पर खर्च किया गया था।


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