यमुनानगर शहर से बाहर पशु डेयरियों को शिफ्ट करने में असफल रहे निगम अधिकारी
शहर में चल रही 250 बड़ी डेयरी संचालकों को निगम की टीम ने दिए थे नोटिस। नोटिस के माध्यम से 7 दिनों में उन्हें अपने पशुओं को डेयरी कांप्लेक्स में शिफ्ट करने की मोहल्लत दी थी। लेकिन 7 दिन बाद भी शिफ्ट नहीं होने पर कोई कार्रवाई नहीं की।
यमुनानगर, जेएनएन : शहर से पशु डेयरियों को कांप्लेक्स में शिफ्ट नहीं किया जा सका है। पहले की तरह एक बार फिर डेयरियों को बाहर लेने जाने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। दो-चार पशु पकड़ने से डेयरी संचालकों में खौफ फैला देंगे और फिर पांच-सात माह के लिए कोई इस तरफ ध्यान नहीं देगा।
250 डेयरी संचालकों को दिए थे नोटिस
शहर में चल रही 250 बड़ी डेयरी संचालकों को नगर निगम की टीम ने नोटिस दिए थे। नोटिस में साफ-साफ लिखा गया था कि सात दिनों में उन्हें अपने पशुओं को डेयरी कांप्लेक्स में शिफ्ट करना है। इतने दिन बीतने पर भी निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। ध्यान रहे कि आज तक डेयरियों के शहर से बाहर शिफ्ट नहीं होने का कारण बार-बार संचालकों को समय देना ही है।
घटने की बजाय बढ़ती जा रही डेयरियां
डेयरियों की संख्या शहरी क्षेत्र में घटने की बजाय बढ़ती ही जा रह हैं। अगस्त माह से पहले निगम टीम ने शहर में सर्वे कराया था। जिसमें पता चला कि छोटी-बड़ी 337 डेयरियां चल रही हैं। जबकि पहले इनकी संख्या 275 थी। 337 में से 250 डेयरियां बड़ी हैं जिनमें 20 से अधिक गाय-भैंस हैं। नगर निगम में न जाने कितने कमिशनर, ज्वाइंट कमिश्नर, चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर, सेनेटरी इंस्पेक्टर आए और ट्रांसफर के बाद चले गए परंतु कोई भी डेयरियों को बाहर शिफ्ट कराने की हिम्मत नहीं जुटा सका। वोट बैंक के चक्कर में राजनीति हावी हो जाती है। जिस कारण शहर साफ गंदा होता जा रहा है। सबसे ज्यादा खामियाजा तो उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो इन डेयरियों के आसपास रहते हैं। इनके गोबर से नालियां तो जाम रहती ही हैं साथ में आसपास रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है क्योंकि उन्हें जाम नालों के अलावा गोबर की बदबू से भी जूझना पड़ रहा है। निगम गठन के समय जो 50 गांव इसमें शामिल किए गए थे यदि उन्हें भी शामिल कर लिया जाए तो डेयरियों की संख्या 700 पार कर जाएगी।
चार डेयरी कांप्लेक्स में खर्च हो चुके करोड़ो रुपये
नगर निगम ने चार डेयरी कांप्लेक्स दड़वा, रायपुर, औरंगाबाद व कैल में बनाए थे। जिन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। कांप्लेक्स में अभी भी सुविधाओं का अभाव है। रोजाना सफाई नहीं होती। पशुओं का सारा गोबर नालों में बहाया जाता है। बरसात होते ही नाले ओवरफ्लो हो जाती हैं। दड़वा कांप्लेक्स की हालत तो इतनी खराब है कि जैसे बरसात से गांव के कच्चे रास्ते में कीचड़ हो जाता है इससे ज्यादा यहां की सड़कों पर गोबर फैल जाता है।
अनिल नैन निगम के चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल नैन ने बताया कि सर्वे में 19 वार्डों में 337 डेयरी मिली हैं। वार्ड 2, 7 व 8 में कोई डेयरी नहीं है। जल्द ही सभी डेयरियां डेयरी कांप्लेक्स में शिफ्ट किया जाएगा।