सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड वैक्सीन को दिया ये नाम, मंत्र लिखे डिब्बों में पहुंची कोरोना वैक्सीन
कोरोना वैक्सीन बनाकर एक बार फिर भारत ने शांति व रोगमुक्त विश्व की कामना की। सर्वे संतु निरामया लिखे डिब्बे में वैक्सीन पहुंची। इसको सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन का नाम दिया है। यजुर्वेद के तैत्तरीय उपनिषद् में यह मंत्र वर्णित है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुख भागभवेत, ओम शांति: शांति: शांति:। इसी मंत्र के साथ भारत प्राचीन काल से ही विश्व में सुख, शांति व रोगमुक्त की कामना करता आ रहा है। हजारों साल बाद आज भी इसी मंत्र पर चलते हुए भारत ने विश्व को कोविड-19 जैसी महामारी से निजात दिलाने वाली दवा बना ली है। इसको सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन का नाम दिया है। उसके बॉक्स के ऊपर तमाम हिदायतों के साथ तिरंगे पर लिखे गए सर्वे संतु निरामया: मंत्र से विश्व को आज भी इसी तरह का संदेश दिया जा रहा है। इससे एक बार फिर विश्व में शांति और रोगमुक्त बनाने वाले भारत की साख कायम होगी।
यजुर्वेद के तैत्तरीय उपनिषद् में वर्णित है यह शांति मंत्र
यजुर्वेद के तैत्तरीय उपनिषद् में यह शांति मंत्र वर्णित है, जिसे हर हवन या बड़े अनुष्ठान के दौरान बोला जाता है। इस पाठ से सबको सुखी होने, सभी को रोगमुक्त रहने, सभी को मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनने और किसी को भी दु:ख का भागी न बनने की प्रार्थना की गई है। विश्व के सामने जब कोरोना वायरस सबसे बड़ी चुनौती थी और लोग घरों में बैठे थे तब भारत देश ने विश्व भर को न केवल जरूरतमंदों को घर-घर भोजन पहुंचाकर आपसी सहयोग का एक उदाहरण पेश किया, बल्कि यहां के वैज्ञानिकों ने अपने व दूसरे देशों के लोगों को कोरोना से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन भी ईजाद की। किसी भी दवा के बॉक्स पर हिदायतों के साथ-साथ यह पहली बार संस्कृत लाइन लिखी हुई दिखाई दी, जो न केवल देश के हर नागरिक को गौरवान्वित करने वाली हैं बल्कि कोरोना महामारी काली बदरा के बीच बचाव की एक किरण दिखाई दे रही है।
पूर्व में भी विश्व को भारत ने ही आयुर्वेद पद्धति दी : डा. राजा सिंगला
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कालेज एवं अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजा सिंगला ने बताया कि यह मंत्र यजुर्वेद के तैत्तरीय उपनिषद् में वर्णित है, जिसे शांति पाठ भी कहा जाता है, जिसमें विश्व को सुखी और रोग मुक्त रहने की प्रार्थना की गई है। पूर्व में भी विश्व को भारत ने ही आयुर्वेद पद्धति दी है, जिसके दम पर बड़ी से बड़ी सर्जरी होती हैं।
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