धोखा दे रहा दूसरी लहर का कोरोना, 50 फीसद केस सीटी स्कैन से पकड़ में आए
दूसरी लहर का ये कोरोना वायरस धोखा दे रहा है। कई केस ऐसे आए हैं कि लक्षण वाले मरीजों में आरटीपीसीआर टेस्ट में इसकी पुष्टि नहीं हुई लेकिन सीटी स्कैन कराने पर संक्रमण मिला है। जांच में उसे कोरोना की पुष्टि हुई तो उसका तुरंत इलाज शुरू हो गया।
यमुनानगर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। इस बार सीटी स्कैन से संक्रमण पकड़ में आ रहा है। कई मामलों में आरटीपीसीआर टेस्ट में भी संक्रमण नहीं मिला। बाद में मरीज का सीटी स्कैन कराने पर संक्रमित होने की पुष्टि हुई। सिविल अस्पताल में बने सीटी स्कैन सेंटर में अब 50 फीसद केस ऐसे आ रहे हैं। इसके साथ ही अब मरीज रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी सीटी स्कैन करा रहा है। जिससे पता लग सके कि कोरोना ने उसके फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाया है। हालांकि यह सभी के लिए जरूरी भी नहीं है।
मार्च माह में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई थी। इसके बाद से ही लगातार केस बढ़े। हालांकि करीब एक सप्ताह से कोरोना संक्रमितों की संख्या घट रही है। रोजाना आने वाले मरीजों में भी गिरावट आई है, लेकिन अभी खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। इस बार कोरोना के बाहरी तौर पर किसी मरीज में कोई सिमटम नहीं है, लेकिन उसकी चार से पांच दिन में हालत बिगड़ने लगती है। जांच में पता लगता है कि मरीज के फेफड़ों पर कोरोना का असर हुआ है।
मशीन को किया जा रहा सैनिटाइज
सिविल अस्पताल में मणिपाल हेल्थ मैप के सहयोग से सिटी स्कैन सेंटर चल रहा है। यहां पर बाहर के मुकाबले मरीजों से काफी कम पैसे लिए जाते हैं। अब कोरोना के केस बढ़ने के साथ ही यहां पर भी सीटी स्कैन कराने वालों की लाइन लगी रहती है। इसके लिए विभाग की ओर से पूरी सुविधा की गई है। हर मरीज की जांच के बाद तुरंत मशीन को सैनिटाइज किया जाता है। कर्मी भी बचाव काे देखते हुए पीपीई किट, ग्लब्स व मास्क लगाकर ही सीटी स्कैन करते हैं। इसके साथ ही सभी कर्मियों का महीने में एक बार कोरोना टेस्ट किया जाता है।
एक माह में 600 सीटी स्कैन
एक वर्ष की बात करें, तो करीब पांच हजार सीटी स्कैन यहां पर हो चुके हैं। इस बार महीने में करीब 600 सिटी स्कैन हो रहे हैं। इनमें से 50 फीसद सीटी स्कैन छाती के हो रहे हैं। यह भी उन मरीजों के हैं। जिनमें कोरोना के सिमटम हैं। हालांकि यहां पर सीटी स्कैन तभी किया जाता है। जब डॉक्टर रेफर करते हैं, क्योंकि सीटी स्कैन में रेडियेशन होती है। ऐसे में यह जरूरत होने पर ही कराया जाना चाहिए। सिविल अस्पताल में बने सीटी स्कैन सेंटर में कम से कम रेडियेशन हो। इसके लिए भी निगरानी रखती जाती है।
स्कॉरिंग सिस्टम किया गया शुरू
सीटी स्कैन के रेडियोडाइग्नोसिस डा. वेनी सचदेव ने बताया कि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट तीन दिन में आती है। तब तक मरीज पर कोरोना काफी असर कर चुका होता है। सीटी स्कैन से तुरंत पता लग जाता है। कई ऐसे भी मामले आए हैं। जिनमें मरीज पेट का सीटी स्कैन कराने आया था। जांच में उसे कोरोना की पुष्टि हुई, तो उसका तुरंत इलाज शुरू हो गया। इसके साथ ही यहां पर स्कॉरिंग सिस्टम शुरू किया जाता है। शरीर में कोरोना का कितना असर हुआ है। इसके लिए स्कोर दिए जाते हैं। जिससे मरीज का इलाज करने वाले डाक्टर को आसानी रहती है और वह उस हिसाब से ही मरीज का उपचार तुरंत शुरू कर देता है।
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