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रखवाला बना लुटेरा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही लूट का मास्टरमाइंड Panipat News

टीसीआई कंपनी में हुई 3.75 करोड़ रुपये की लूट के मामले का पर्दाफाश हुआ तो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही मास्टरमाइंड निकला।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 04:54 PM (IST)
रखवाला बना लुटेरा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही लूट का मास्टरमाइंड Panipat News
रखवाला बना लुटेरा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही लूट का मास्टरमाइंड Panipat News

पानीपत, जेएनएन। शॉर्ट कट तरीके से अमीर बनने की चाहत में जनता का रखवाला ही लुटेरा बन बैठा। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही लूट का मास्टरमाइंड निकला। चार माह पहले अनाज मंडी स्थित टीसीआई कंपनी में हुई 3.75 करोड़ रुपये की लूट को सीआइए वन ने सुलझा लिया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सिपाही सचिन इस बड़ी लूट का मास्टरमाइंड निकला। आरोपित ने अपने पिता, मामा व अन्य साथियों को लेकर वारदात को अंजाम दिया था। वह पुलिस की तनख्वाह के बाद भी संतुष्ट नहीं था। शॉर्टकट में अमीर बनना चाहता था। पुलिस ने आरोपित सिपाही, उसके पिता सहित चार आरोपितों को गिरफ्तार कर 24 लाख रुपये की नकदी बरामद की है। पुलिस ने शुक्रवार को आरोपित सरगना सचिन को अदालत में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया है। बाकी आरोपित को पुलिस पहले ही न्यायिक हिरासत भेज चुकी है।

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सीआइए वन इंचार्ज इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने शुक्रवार को लूट की बड़ी वारदात का पटाक्षेप किया। 24 मई को अनाज मंडी स्थित टीसीआइ कंपनी के में चालक सुधीर और नौकर संतोष बिहार के मुजफ्फरपुर से 204 लोगों के 3.75 करोड़ रुपये लेकर कार्यालय आए थे। कुछ देर बाद हथियारबंद बदमाश टीसीआई कंपनी के कार्यालय में दाखिल हुए। बदमाशों ने सहायक हरेकृष्ण और चंद्रभान को हथियार की नोक पर बंधक बनाकर महज 20 मिनट में 3.75 करोड़ रुपये लूटकर फरार हो गए थे। थाना चांदनी बाग पुलिस ने इसमें लूट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था, लेकिन बदनामी के चलते इस मामले को सार्वजनिक नहीं होने दिया। सीआइए स्टॉफ इसकी अंदर खाते जांच पड़ताल कर रही थी।

पिता ऋषिराज ने भी दिया साथ, गिरफ्तारी के बाद खुली परतें

आरोपितों ने वारदात को अंजाम देने के बाद एक-दूसरे से दूरी बना ली। उन्होंने आपस में फोन पर भी संपर्क नहीं किया। वहीं सीआइए पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो एक फुटेज में सिपाही सचिन नजर आया। फोन कॉल रिकॉर्ड, डंप बॉक्स का डाटा निकाला तो उसमें सचिन की कोई जानकारी नहीं थी। शक होने पर पुलिस ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया तो सचिन ड्यूटी से गैर हाजिर मिला। चार माह तक उसके परिजनों के फोन ट्रेस कर जानकारी जुटाई और 23 अक्टूबर को उसके पिता ऋषिराज निवासी बबैल रोड से पूछताछ की। मामला सामने आने पर आरोपित पिता को गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में बताया कि उसके बेटे सचिन, साले सुधीर और अन्य के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था।

18 दिन बाद घर पर दबोचा सिपाही, तीन अन्य आरोपित भी किए काबू

सीआइए ने आरोपित ऋषिराज की निशानदेही पर उसके साले सुधीर निवासी दलबीर नगर, संतोष उर्फ अमन निवासी दरभंगा, बिहार को धर दबोचा। जिनके कब्जे से आठ लाख रुपये बरामद हुए। 27 सितंबर को एक अन्य आरोपित कन्हैया उर्फ कान्हा निवासी तिमारपुर दिल्ली को भी उसके घर से दो लाख की नकदी सहित काबू किया। पुलिस ने चारों आरोपितों को जेल भेज दिया। पिता की गिरफ्तारी के 18 दिन बाद 10 अक्टूबर को सचिन घर पहुंचा। पुलिस ने सूचना के आधार पर आरोपित सचिन को धर दबोचा। उससे लूट के 8 लाख रुपये बरामद किए। 

जहांगीरपुरी थाने में बदमाशों के संपर्क में आया था सिपाही

पुलिस के अनुसार दिल्ली पुलिस का सिपाही सचिन निवासी बबैल रोड पानीपत, दिल्ली के जहांगीरपुरी थाने में ड्यूटी पर तैनात था। वह 2009 के बैच का बेस्ट बीट कांस्टेबल था। जहां उसकी कुछ बदमाशों से पहचान हो गई। बदमाशों से चर्चा हुई कि पानीपत की टीसीआई कंपनी में उसका मामा सुधीर ड्राइवर है और उसे कंपनी के करोड़ों रुपये के लेन-देन की जानकारी रहती है। मामा सुधीर और नौकर संतोष संग मिलकर लूटपाट की प्‍लानिंग की थी। 


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