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ई-सिगरेट बेचने या सेवन पर अब तीन साल कैद

इसका आविष्कार सिगरेट की लत छ़ुड़ाने के लिए किया गया था। बाद में लोग इसकी लत का शिकार हो गए। इसका धुआं दिखाई नहीं देता मेट्रो शहरों और कस्बों में युवा और किशोर इसका सेवन करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 06:04 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 06:33 AM (IST)
ई-सिगरेट बेचने या सेवन पर अब तीन साल कैद
ई-सिगरेट बेचने या सेवन पर अब तीन साल कैद

राज सिंह, पानीपत: प्रदेश में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। इसकी बिक्री और सेवन करने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन, हरियाणा ने ई-निकोटिन फ्लेवर वाले हुक्का सेवन को भी बैन कर दिया गया है। बता दें कि पानीपत में ई-सिगरेट से संबंधित पांच मामले जिला अदालतों में विचाराधीन हैं।

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जिला औषधि नियंत्रक (डीसीओ) विजया राजे राठी ने बताया कि ई-सिगरेट, हीट-नॉन-बर्न डिवाइस, ई-शीशा, ई-निकोटिन फ्लेवर हुक्के आदि की खरीद-फरोख्त करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी। बरामद उपकरणों की तीन गुना कीमत या एक लाख रुपए तक का जुर्माना वसूला जाएगा। आदेशों पर ठीक से अमल हो, इसके लिए जिला प्रशासन, खाद्य विभाग, पुलिस, एक्साइज विभाग, कस्टम विभाग, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सहयोग मांगा गया है।

कोर्ट में पांच मामले विचाराधीन

डीसीओ के मुताबिक पानीपत की अदालतों में पहले से पांच मामले विचाराधीन हैं। ई-सिगरेट और ई-हुक्का बिक्री और सेवन की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में देशी-विदेशी 400 से अधिक किस्म की ई-सिगरेट बिक्री होती रही है। 16 मई 2017 को पहली छापेमारी

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव एवं सीजेएम मोहित अग्रवाल ने 16 मई 2017 मॉडल टाउन स्थित छाबड़ा स्टोर पर छापेमारी की थी। यहां एक नाबालिग को ई-सिगरेट बेचते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। ई-सिगरेट और रिफिल बरामद हुए थे। इस स्टोर से मॉडल टाउन क्षेत्र के करीब 50-60 बच्चे ई-सिगरेट खरीदकर कश लगाते थे। इसके बाद कुछ हुक्का बार में भी छापेमारी की गई थी। सिगरेट का लत छुड़ाने के लिए हुआ था आविष्कार, लोग बनने लगे इसी का शिकार

ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाला निकोटिन डिलीवरी का यंत्र है। इसमें द्रव्य पदार्थ का रिफिल डाला जाता है। ऑन करने के बाद निकोटिन को भाप के रूप में मुंह से खींचा जाता है। इसका आविष्कार सिगरेट की लत छ़ुड़ाने के लिए किया गया था। बाद में लोग इसकी लत का शिकार हो गए। इसका धुआं दिखाई नहीं देता, मेट्रो शहरों और कस्बों में युवा और किशोर इसका सेवन करते हैं। होते हैं खतरनाक केमिकल

कार्बन मोनोआक्साइड, कैडमियम (बैटरी में पाया जाता है), आर्सेनिक, अमोनिया, रे-डॉन (खतरनाक न्यूक्लियर गैस), मिथेन, टॉर (चारकोल), निकोटिन, एसिटोन, फार्मलडिहाइड आदि इसमें हानिकारक तत्व पाए जाते हैं। बीमारियों की है खान

सेवन से मुंह और फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, लकवा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी, महिलाओं में गर्भपात और गर्भस्थ शिशु को नुकसान का खतरा रहता है।


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