हरियाणा के इस गांव में सेना को च्यवन ऋषि के गुस्से का करना पड़ा था सामना, अब लगता है भव्य मेला
हरियाणा के कैथल में राज्य स्तरीय मेला लगता है। पूरे प्रदेश से श्रद्धालु आते हैं। साल में चार बार मेला लगता है। कैथल के गांव च्वयन ऋषि का मंदिर की यहां मान्यता है। बताते हैं कि राजा की पूरी सेना को च्वयन ऋषि के गुस्से का सामन करना पड़ा था।
कैथल, जेएनएन। कैथल जिले का संबंध कई महान ऋषि मुनियों से रहा है। गांव चौशाला में बना च्यवन ऋषि का मंदिर भी पूरे हरियाणा में विख्यात है। मंदिर के पुजारी बिट्टू ने बताया कि यहां साल में चार बार विशाल मेला लगता है। दो बार सामण माह और दो बार फागन माह में मेला लगता है। अब 14 मार्च और 21 मार्च को रविवार के दिन मेला लगेगा। मेले को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
मेले में व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस और गांव के सेवादार युवाओं को तैनात किया जाता है। मंदिर में कैथल ही नहीं पूरे हरियाणा से श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं। मंदिर में नागर खेड़ा भी है, जिसकी बहुत मान्यता है। मुख्य रूप से पशु धन में सुख-शांति के लिए पूजा की जाती है। पुजारी ने बताया कि मंदिर के पीछे एक पुरानी मान्यता भी है। किसी समय में भृगु ऋषि के पुत्र च्यवन ऋषि ने कलायत के चौशाला गांव स्थित प्राचीन कुंड में स्नान किया था। उस समय सरस्वती नदी का प्रवाह इस कुंड से होकर गुजरता था।
तपस्या करते-करते ऋषि को लग गई थी दीमक
च्यवन ऋषि ने ढ़ोसी की पहाड़ी पर जाकर घोर तप किया, जिससे ऋषि के पूरे शरीर को दीमक लग गई थी। इस दौरान राजा शयरति ढ़ोसी पहाड़ी की ओर सैर पर निकले थे। उनके काफिले के साथ उनकी बेटी सुकन्या भी थी। रात होने पर राजा ने इस पहाड़ी पर अपना पड़ाव डाला। जब सुकन्या अपनी सखियों सहित घूमने निकली तो उसने मिट्टी से लदे ऋषि को देखा। ऋषि का शरीर तो मिट्टी से ढका था, लेकिन नेत्रों के स्थान से रोशनी निकल रही थी। सुकन्या ने जिज्ञासा वश नेत्रों में कांटा चुभा दिया और उससे ऋषि की आंखों से खून बहने लगा। उस समय ऋषि के क्रोध से राजा की पूरी सेना का मलमूत्र बंद हो गया था। राजा भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे। उस समय सुकन्या ने ऋषि की घटना के बारे में राजा को बताया। राजा ने ऋषि के पास जाकर माफी मांगी और अपनी बेटी सुकन्या को ऋषि के पास सेवा के लिए छोड़ दिया। उसके बाद राजा की सेना भी ठीक हो गई थी।