बाल कल्याण समिति ने बच्चों को संभाला, इंसाफ दिलाया..घर पहुंचाया
एजेंसियों द्वारा 293 को समिति के समक्ष पेश किया गया। इनमें सबसे अधिक 73 मामले भिक्षावृत्ति-बालश्रम व शारीरिक मानसिक शोषण से जुड़े हैं। अब तक आए सभी केस का निपटारा कर दिया गया है।
राज सिंह, पानीपत
बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), पानीपत बच्चों-किशोरों को उनके अधिकार दिलाने का काम करती है। उन्हें आश्रय भी प्रदान कराती है। जनवरी से नवंबर तक विभिन्न एजेंसियों द्वारा 293 को समिति के समक्ष पेश किया गया। इनमें सबसे अधिक 73 मामले भिक्षावृत्ति-बालश्रम व शारीरिक मानसिक शोषण से जुड़े हैं। अब तक आए सभी केस का निपटारा कर दिया गया है। एक केस में तो गूगल से ग्राम सचिव का नंबर तक तलाशा और लापता बच्चे को मध्यप्रदेश में उसके घर पहुंचाया।
इस तरह इतने केस सामने आए
24.91 भिक्षावृत्ति
16.67 शोषण
12.96 घर छोड़कर गए
12.28 पोक्सो
6.14 दुष्कर्म-कुकर्म
5.8 मिसिग
2.38 चाइल्ड मैरिज
18.86 अन्य, इनमें मतभेद सहित कई केस शामिल।
नोट : आंकड़े फीसद में भीख, शोषण और घर छोड़ने के केस ज्यादा कैटेगरी कुल केस भिक्षावृत्ति 73
शोषण 43
घर छोड़कर गए 38
पोक्सो 36
दुष्कर्म-कुकर्म 18
मिसिग 17
चाइल्ड मैरिज 07
अन्य 07 लड़कों से भीख मंगवा रहे, बच्चियों की जल्द शादी कर रहे कैटेगरी किशोर किशोरियां
भिक्षावृत्ति 70 03
शोषण 04 39
घर छोड़कर गए 02 36
पोक्सो 00 36
दुष्कर्म-कुकर्म 01 17
मिसिग 10 07
चाइल्ड मैरिज 00 07
अन्य 02 07
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05 सदस्यीय मजिस्ट्रेट बैंच होती है
01 सदस्य महिला होना जरूरी
18 साल से कम आयु के बच्चों-किशोरों की मदद करते हैं
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इनके द्वारा पेश किए जाते हैं किशोर
पुलिस, रेलवे पुलिस, मधुबन क्राइम ब्रांच, चाइल्ड हेल्पलाइन, सामाजिक संगठन और जागरूक आमजन। समिति सदस्य बच्चों व उनके अभिभावकों की काउंसिलिग के जरिए बाल हित में अच्छा रास्ता निकालते हैं।
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11 कैटेगरी में मदद
समिति 11 कैटेगरी में बच्चों की मदद करती है। इनमें दिव्यांग, अभिभावकों द्वारा त्यागे बच्चे, अभिभावकों से मतभेद, व्यक्तिगत समस्या आदि भी शामिल हैं।
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साल का सबसे रोचक केस
मॉडल टाउन निवासी ने सात अक्टूबर 2020 को शिकायत देकर बताया कि सरोगेट मां की कोख से जन्मे साढ़े तीन साल के बच्चे को घर में रस्सी से बांधकर रखा जाता था। करीब 15 दिन से बच्चा घर में नहीं दिख रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कड़ा संज्ञान लिया। कानूनी माता-पिता को लिखित में शपथ-पत्र देना पड़ा कि बच्चे की सही देखभाल करेंगे।
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ताऊ-ताई पर लगाया भूखा रखने का आरोप
फरवरी-2020 में दो अनाथ बहनों ने ताऊ-ताई पर भूखा रखने, घर का सभी काम कराने, नहीं करने पर पिटाई करने की शिकायत समिति को दी थी। समिति ने सामाजिक जांच के बाद दोनों के खिलाफ जेजे एक्ट की धारा-75 के तहत मुकदमा दर्ज कराया। आरोपितों से कहा किशोरियों के हिस्से का घर भी उनके नाम कराया जाए।
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चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में मदद
सीडब्ल्यूसी की चेयरपर्सन एडवोकेट पदमा रानी ने बताया कि अठारह वर्ष आयु तक का बच्चा-किशोर अपने अभिभावकों के साथ नहीं रहना चाहे, या किसी भी कारण से अभिभावक नहीं रखना चाहें तो उन्हें चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में भेजा जाता है। पढ़ाई, भोजन सहित सभी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है।
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अलग-अलग केयर सेंटर
सीडब्ल्यूसी के सदस्य डा. मुकेश आर्य ने बताया कि किशोरों को बाल श्रमिक पुनर्वास केंद्र और किशोरियों को अलग केयर सेंटर में रखा जाता है। माह में दो बार इन केंद्रों का निरीक्षण होता है। बच्चों की समस्याएं सुनी जाती हैं। लावारिस मिलने वाले नवजातों को सोनीपत या कैथल के शिशु गृह में भेजा जाता है।