Chhath Puja 2021: घाटों पर श्रद्धालुओं ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्य, संपन्न हुआ छठ पूजा का महापर्व
छठ पूजा पर्व चार दिनों का होता है। इस दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना पड़ता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय दूसरा दिन खरना होता है। बताया जाता है कि खरना को शाम गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं।
जागरण संवाददाता। सत्तातन धर्म का पर्व छठ पूजा का समापन वीरवार के दिन सूर्योदय के साथ सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। इसके लिए हरियाणा में कई स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए कृत्रिम घाट बनाए गए थे, जिन्हें तरह तरह से सजाया गया था। बता दें कि नहाय-खाय और खरना के बाद आद डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठी माता की पूजा की जाती है।
जानकारी के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा करते हैं। छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जिसके बिना छठ पूजा को अधूरा माना जाता है। छठ पूजा को डाला छठ या सूर्य षष्ठी पूजा भी कहा जाता है। छठी माता की कृपा से वंश वृद्धि का आशीष मिलता है, संतान का जीवन सुखी होता है और सूर्य देव की कृपा से निरोगी जीवन मिलता है।
उस विधि विधान के साथ होती है छठ पूजा
माना जाता है कि छठ पूजा पर्व चार दिनों का होता है। इस दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना पड़ता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना होता है। बताया जाता है कि खरना को शाम गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। खरना को छठ पूजा का डाल सजाते हैं। डाल में ही पूजा सामग्री और प्रसाद रखते हैं।
जिसके कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य को संध्या अर्घ्य देते हैं और छठी मैया की पूजा करते हैं। जिसके बाद परिवार का पुरुष सदस्य डाल को घाट पर ले जाता है। जहां व्रत रखा सदस्य के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पूजा करते हैं। जिसके बाद अगले दिन सुबह फिर घाट पर स्नान किया जाता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद व्रत रखे सदस्य का व्रत को पूरा करते हैं।