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15 साल बाद रंगाई उद्योगों को मिला नहरी पानी, उद्यमियों के चेहरे खिले

2003 में बसे सेक्टर में 2019 में नहरी पानी की आपूर्ति मिली 17 क्यूसिक पानी 700 उद्योगों को मिलेगा 350 उद्योगों ने लिए कनेक्शन

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 09:43 AM (IST)
15 साल बाद रंगाई उद्योगों को मिला नहरी पानी, उद्यमियों के चेहरे खिले
15 साल बाद रंगाई उद्योगों को मिला नहरी पानी, उद्यमियों के चेहरे खिले

जागरण संवाददाता, पानीपत : औद्योगिक सेक्टर 29 पार्ट दो में लगे रंगाई उद्योगों को 15 साल बाद नहरी पानी मिला है। नहरी पानी मिलने से उद्यमियों ने राहत की सांस ली। सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी द्वारा उद्यमियों को ग्राउंड वाटर के लिए एनओसी लेना अनिवार्य किया हुआ है। 47 इकाईयों के खिलाफ एनओसी का आवेदन न देने पर कार्रवाई के निर्देश भी जारी हो चुके हैं। ऐसे समय में नहरी पानी मिलने से उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है। रंगाई उद्यमियों ने बताया कि अब हमें भूजल का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। पानी भी सस्ता पड़ेगा। 17 क्यूसिक पानी की आपूर्ति

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रंगाई उद्योगों को 17 क्यूसिक पानी की आपूर्ति देने की व्यवस्था की गई है। सोमवार को जैसे ही पानी सेक्टर 29 पार्ट 2 में पहुंचा। मौके पर हशविप्रा के अधिकारियों सहित रंगाई उद्यमी पहुंचे। 29 किलोमीटर लाइन

हशविप्रा के एसडीओ डीके मलिक ने बताया कि 29 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाकर नहरी पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस पर 10 करोड़ रुपए खर्च आए हैं। दिल्ली पैरलैल लाइन बिझौल हेड से यह आपूर्ति दी जा रही है। नहरी पानी देने के लिए हशविप्रा के जुलाई माह की डेड लाइन दी गई थी। विभाग ने दो माह पूर्व ही नहरी पानी उपलाब्ध करवा दिया। 700 उद्योगों के लिए व्यवस्था

नहरी पानी की व्यवस्था 700 उद्योगों के लिए की गई है। अभी तक 350 उद्योग चालू हुए हैं। जिनमें 7-8 क्यूसिक पानी की खपत होगी। जैसे-जैसे और उद्योग आएंगे कनेक्शन दिए जाएंगे। उद्योगों को मिला जीवनदान

पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा सहित उद्यमी नितिन अरोड़ा, मुकेश रेवड़ी, ऋषभ नारंग, संजीव अरोड़ा, रोहित खन्ना ने बताया कि रंगाई उद्योगों के लिए यह जीवन दान से कम नहीं है। एनसीआर में पानीपत पहला औद्योगिक शहर है जहां नहरी पानी की आपूर्ति हो रही है। हमें अब भूजल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हमने एसटीपी से जो गंदा पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है। उसे साफ करके देने के लिए भी कहा है। ताकि पानी की रि-यूज होने से कम पानी खर्च हो सके। ये होगा फायदा

उद्योगों को नहरी पानी छह पैसे लीटर पड़ेगा। जबकि भूजल सबमर्सिबल अथवा ट्यूबवेल से लेने पर 12 से 15 पैसे खर्च आता है। इस प्रकार आधे से कम खर्च में उद्योगों को पानी मिल सकेगा। भूजल दोहन का ठप्पा भी हटेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की कार्रवाई में मिल सकती है राहत। 10 साल से चल रही कवायद

औद्योगिक क्षेत्र को नहरी पानी देने की कवायद दस वर्षों से चल रही है। पहले सिमेंट की सप्लाई लाइन होने के साथ कम क्षमता की पाइप लाइन बिछी थी जो नहरी पानी के प्रैशर(दबाव) को सहन नहीं कर सकी। जिस कारण नहरी पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी। बीच में ही यह काम लटक गया। अब लोहे की पाइप लाइन बिछाई गई है। जिसकी क्षमता अधिक है। वह पानी के प्रैशर को सहन कर सकती है।

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