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पराली जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता होती है कमजोर : अशोक छिक्कारा

जागरण संवाददाता पानीपत धान की पुआल (पराली) जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता कमजोर होती ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 08:41 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:41 AM (IST)
पराली जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता होती है कमजोर : अशोक छिक्कारा
पराली जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता होती है कमजोर : अशोक छिक्कारा

जागरण संवाददाता, पानीपत : धान की पुआल (पराली) जलाने से भूमि की उर्वरक क्षमता कमजोर होती है। जमीन के अंदर मौजूद मित्र कीट भी मर जाते हैं। इसका धुआं मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। किसान पराली को बेचकर मुनाफा कमाएं। सरकार भी ढ़ाई हजार रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी देगी। पराली नहीं जलाने वाले गांव पुरस्कृत भी होंगे। जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में बापौली-मतलौडा के बीडीपीओ (खंड एवं पंचायत अधिकारी) अशोक छिक्कारा ने किसानों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनीं।

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प्रश्न : गोयला खेड़ा के सरपंच जयकुमार ने कहा कि किसान पराली न जलाएं, सभी को सरकार व जिला प्रशासन के आदेशों से अवगत कराया है। इस विषय में और क्या करें।

बीडीपीओ : किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान बताएं। सब्सिडी की जानकारी दें। पराली का सदुपयोग बताएं। पराली जलाने वाले किसान की सूचना जिला प्रशासन को दें। प्रश्न : मतरौली गांव के सरपंच लव शर्मा ने बताया कि पंचायती भूमि की नीलामी हो चुकी है। आमदनी का सदुपयोग कैसे करें।

उत्तर : पेयजल लाइन दुरुस्त कराएं। पार्क की चहारदीवारी कराएं। श्मशान घाट की स्थित सुधारें। ग्रामीणों के हित और सरकार की योजनाओं में रकम खर्च करें। प्रश्न : पसीना कलां के सरपंच कर्मवीर शर्मा ने बताया कि गांव के आसपास ओद्यौगिक एरिया-डाई हाउस हैं। इनसे निकलने वाला रसायनयुक्त पानी पाइपों के जरिए जमीन में पहुंचाया जा रहा है। श्रमिक कालोनी हैं, इनका कचरा सड़क पर पड़ा रहता है।

उत्तर : पंचायत में प्रस्ताव पास कराकर शिकायत मेरे और डीसी कार्यालय में दें। उसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को भेजकर कार्यवाही कराई जाएगी। प्रश्न : बापौली के बलराज ने बताया कि ग्राम पंचायत और शामलात की भूमि से अवैध कब्जा हटवाने में क्यों नाकाम है जिला प्रशासन। अब तो हाई कोर्ट ने भी आदेश दिए हैं। क्या करें।

उत्तर : कब्जे वाली जिस भूमि पर कई दशकों से मकान बने हुए हैं, उस जमीन को कब्जा मुक्त कराना बड़ी चुनौती है। खाली भूमि जल्द कब्जामुक्त हो सकती है। प्रश्न : सनौली के उमेश ने पूछा कि यमुना खादर में करीब 1500 एकड़ भूमि को लेकर गोयला खुर्द वासियों में खूनी संघर्ष हुआ है। एक बार सही ढंग से निशानदेही क्यों नहीं कराते।

उत्तर : विगत दिनों कुछ गांवों की भूमि की निशानदेही हुई थी, गोयला खुर्द रह गया था। भूमि का रिकार्ड निकलवाकर देखना पड़ेगा। प्रश्न : बापौली से वीरेंद्र ने बताया कि स्ट्रीट लाइट और सोलर लाइट के संबंध में आरटीआइ लगाई थी। आपके कार्यालय से उत्तर नहीं मिला है।

उत्तर : आरटीआइ का कामकाज पटवारी देख रहा है। आप कार्यालय पहुंचकर एक बार उससे देरी का कारण पूछ लें।

प्रश्न : पानीपत से सुरेंद्र ने पूछा कि बापौली-मतलौडा क्षेत्र में कितने किसानों ने सोलर ट्यूबवेल के लिए आवेदन किया है।

उत्तर : दोनों ब्लाक में एक भी किसान ने आवेदन नहीं किया है। भूजल स्तर नीचे जाने के कारण सोलर ट्यूबवेल लगाने में दिक्कत है। जहां जलस्तर ठीक है, वहां ये लग रहे हैं।

ये गिनाएं मुख्य विकास कार्य

-गांव भालसी में 32 लाख रुपये की लागत से स्टेडियम तैयार हो रहा है।

-नया खुखराना भी स्टेडियम और व्यायामशाला बननी है।

-सौंधापुर में स्टेडियम-व्यायाम शाला के लिए 52 लाख का फंड मिला है, जगह तलाश रहे हैं।

-सभी श्मशान घाट को शिव धाम के रूप में डेवलप करना है।

-परिवार पहचान पत्र बनाने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

यह है कानून :

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 दिसंबर 2015 को फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पराली जलाने के दोषी पर दो एकड़ भूमि तक 2500 रुपए, दो एकड़ से पांच एकड़ भूमि तक 5000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।


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