कैथल में बन रहा बायो मास प्लांट, अब किसानों को पराली को लेकर नहीं होगी समस्या
कांगथली में 18 मेगावाट बिजली का प्रदेश के पहले बायो मास प्लांट का निर्माण कार्य जार। मार्च 2022 में होगा शुरू। प्लांट पर खर्च होगी 200 करोड़ रुपये की राशि पांच लाख की आबादी को बिजली देने में होगा सक्षम।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। प्रदेश और दिल्ली से सटे प्रदेश के इलाकों में पिछले लंबे समय से प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। फसल कटाई के समय में अक्सर किसानों की ओर से पराली जाने के कारण प्रदूषण बढ़ता है, परंतु कैथल जिले में गांव कांगथली में बिजली का बायो मास प्लांट का निर्माण होगा। जो पर्यावरण संरक्षण के साथ बिजली बनाने का कार्य करेगा।
यह निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है। जिसके पूरा होने में दो साल का समय लगेगा। प्लांट के निर्माण कार्य को शुरू हुए दस माह बीत चुका है और अगले एक साल तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। यह प्लांट मार्च 2022 में सुचारू रूप से शुरू हो जाएगा। इसका निर्माण 200 करोड़ रुपये की लागत से सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड की ओर से किया जा रहा है। यह 18 मेगावाट क्षमता का बायो मास प्लांट होगा। प्लांट में बिजली बनाने के लिए केवल पराली का ही प्रयोग किया जाएगा। कंपनी इसको चलाने के लिए 50 लाख टन पराली की खरीद पहले ही किसानों से कर चुकी है। इसके लिए रोजाना बिजली बनाने के लिए एक हजार टन पराली की जरूरत होगी।
प्रदूषण मुक्त होगा प्लांट
बिजली उत्पादन के लिए लगाया जा रहा बायो मास प्लांट प्रदूषण मुक्त होगा। इसके लिए बैग फिल्टर का इस्तेमाल किया जाएगा, जो गंदगी को वहीं रोक देंगे। इसके साथ ही डेनमार्क टेक्नॉलोजी से बना बॉयलर और जर्मन टेक्नॉलोजी से बने टर्बाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो वाइट स्मॉक निकलेगा उसके लिए 60 मीटर ऊंची चिमनी बनाई गई है।
कंपनी के जीएम आरपी सिन्हा ने बताया कि 2018 में सरकार ने रिन्यूअल एनर्जी को लेकर पॉलिसी बनाई थी। पॉलिसी के तहत ही मई 2019 में प्लांट का निर्माण शुरू किया गया था। मार्च में प्लांट प्रोडेक्शन के लिए रेडी हो जाएगा। कंपनी की ओर से लगाए जा रहे प्लांट से पराली की समस्या का समाधान ही नहीं होगा, बल्कि बिजली उत्पादन होगा।