करनाल में चाइनीज मांझा से आफत में जान, बाइक सवार युवक के गले में फंसा, 24 टांके लगे
प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझा का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। बिक्री लगातार जारी है। इसी मांझे की वजह से करनाल में एक युवक की जान आफत में पड़ गई। उसके गले में मांझा फंस गया और उसको 24 टांके लगे।
करनाल, जेएनएन। चाइनीज डोर कितनी घातक साबित हो सकती है, इसका अंदाजा गांव शाहपुर वासी करीब 22 वर्षीय अमन ही लगा सकते हैं, जिनकी जिंदगी ही बाल-बाल बच पाई है। वह 19 फरवरी को अपने भाई संजीव के साथ घरेलू सामान लेने के लिए बाइक पर सवार होकर गांव से करनाल आ रहा था। वे दोनों शहर में प्रवेश करते ही पश्चिमी यमुना नहर बाइपास से जाने लगे तो तभी चाइनीज डोर अचानक अमन के गले में फंस गई।
हेलमेट पहने हुआ अमन जब तक संभला तो चाइनीज डोर उसे लहूलुहान कर चुकी थी। अचानक हुए इस हादसे में बाइक भी अनियंत्रित हो गई और पीछे बैठा भाई संजीव भी हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गया, लेकिन तब तक चाइनीज डोर अमन के गले को चीर चुकी थी। संजीव उसे किसी तरह से अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां उसे दो दिन उपचाराधीन रहना पड़ा तो वहीं गर्दन पर 24 टांके लगे।
रविवार को ही अस्पताल से छुट्टी मिली तो वह अपने स्वजनों के साथ मिलने जिला उपायुक्त निशांत यादव से चाइनीज डोर पर सख्ती से पाबंदी लगाने की गुहार को लेकर जिला सचिवालय पहुंचा, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद कई अन्य अधिकारियों से मिला, लेकिन किसी अधिकारी ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया और मायूस होकर अमन व स्वजनों को घर लौटना पड़ा।
बाइक की स्पीड ज्यादा होती तो हो सकती थी मौत
अमन की मानें तो जब वह हादसे का शिकार हुआ तो सड़क पर मोड़ होने के चलते बाइक की स्पीड बेहद कम थी। उसने हेलमेट भी पहना हुआ था। इसके बावजूद वह बुरी तरह से घायल हो गया और 24 टांके लगवाने पड़े। स्पीड अधिक और हेलमेट न होता तो शायद चाइनीज डोर से उसकी मौत भी हो सकती थी। वहीं उसके पिता सतीश कुमार, भाई संजीव, सुलतान सिंह, दिलबाग सिंह आदि का कहना है कि चाइनीज डाेर बेहद खतरनाक साबित हो रही है, इन पर सख्ती से पाबंदी लगाई जानी चाहिए। इस हादसे में संजीव की मौत हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता।
सबक नहीं ले रहा प्रशासन
चाइनीज डोर से कुछ दिनों पहले ही रामनगर वासी संतोष, गगसीना वासी नफे सिंह, सीकरी वासी प्रदीप भी हादसे का शिकार हो चुके हैं, जिसके बावजूद प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। यह प्रशासन की अंदेखी है कि 16 फरवरी को मनाए गए बसंत पंचमी पर्व के एक करीब एक सप्ताह बाद भी चाइनीज डोर से पतंगें धड़ल्ले से उड़ाई जा रही है और लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं।
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