पर्यावरण के लिए बड़ा फैसला, हरियाणा सीएम सिटी में हर सरकारी इमारत होगी वर्टिकल गार्डन
हरियाणा सीएम सिटी करनाल के सरकारी इमारतों को वर्टिकल गार्डन में तब्दील किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर की सरकारी इमारतों की फ्रंट वाल पर बनेगा वर्टिकल गार्डन। इसका मकसद पर्यावरण को बढ़ावा देना और मानव स्वास्थ्य का संदेश देना है।
करनाल, [अश्वनी शर्मा]। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अब हरियाणा की सीएम सिटी यानी करनाल की सरकारी इमारतों का चेहरा भी बदलने जा रहा है। किसी भी सरकारी भवन के सामने से निकलते ही उसकी लाल रंग की दीवारों से सरकारी कार्यालय होने का अहसास होता है। लेकिन अब यह नजरिया बदलने वाला है। कुछ माह बाद आप किसी इमारतों के बाहरी स्वरूप को पूरी तरह से हरा-भरा यानि वर्टिकल गार्डन से लबरेज देखे तो समझ जाना कि यह सरकारी भवन है। ठीक उसी तरह से जिस तरह से जिला सचिवालय का चेहरा पूरी तरह से हराभरा कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट की पहली सफल बानगी लघु सचिवालय के प्रवेश द्वार पर देखी जा सकती है, जो बनकर तैयार है।
क्या है वर्टिकल गार्डन
उपायुक्त एवं केएससीएल के सीइओ निशांत कुमार यादव ने बताया कि गार्डन का निर्माण भवन की आंतरिक और बाहरी दोनों क्षेत्र में किया जाता है। तकनीक को लागू करने में एक क्षेत्र की अधिकतम क्षमता का उपयोग किया जा सकता है। यह सुंदरता बढ़ाने के साथ पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। फिलहाल स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लघु सचिवालय भवन पर इसे लागू किया गया है लेकिन प्रोजेक्ट को डा. मंगलसेन आडिटोरियम तथा नगर निगम के नए भवन पर दोहराना प्रस्तावित है। ईमारत के बाहरी भाग पर हरित दीवार इसे सूर्य की सीधी तपिश से बचाती है, जिससे गर्मी के दौरान ऊर्जा की खपत कम होकर इमारत के अंदर तापमान कम हो जाता है। हरा-भरा दृश्य दिल को सुकून देता है।
कैसे बनाई गई हरित दीवार
उपायुक्त ने बताया कि प्रोजेक्ट के लिए लघु सचिवालय के अग्रभाग में 95 वर्ग मीटर जगह पर तकनीक के सहारे 3300 पौधे, फाइबर निर्मित छोटे-छोटे गमलों में लगाए गए हैं। पौधो का चुनाव विशेषता और प्रकृति के अनुसार किया गया है, जिनका रख-रखाव आसानी से किया जा सकता है। ये अर्ध या पूर्ण धूप में मौसम के अनुरूप रह सकते हैं। इनमें सदाबहार, पत्ते झड़ने वाले छोटे-छोटे झाड़ीनुमा पौधे और जगह को अच्छे से कवर कर देने वाले पौधे शामिल हैं। प्रजाति में छपलेरा, डवार्फ, बोट लिलि, अल्टर्नथेरा ग्रीन व रेड, गोल्डन डोरांटा, वडिलिया तथा अस्पेरागस सप्रेंगरी हैं। कई प्रजाति औषधीय पौधों की है, जो कार्बन डाइआक्साइड को सोखकर उसे आक्सीजन में कन्वर्ट करते हैं।
क्या है यह तकनीक
हरित दीवार बनाने के लिए पहले दीवार पर लोहे के फ्रेम को फिट किया जाता है और फिर बराबर आकार में प्लास्टिक निर्मित पाट या गमलों के फ्रेम चढ़ाए जाते हैं। गमलों में पौधे मिट्टी में रोपे जाते हैं। इसमें ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पौधों की सिंचाई होती है यानि बूंद-बूंद पानी सभी पौधों में जाता है, जो इजराइल की तकनीक है। पौधों को रोज पानी देने की जरूरत नहीं होती। हर तीसरे दिन ऐसा किया जाता है। आटोमेटिक तकनीक से सिंचाई के लिए इसमें टाइमर लगा है। जितनी जरूरत है, उतना पानी दिया जाता है।