राम से मिल भावुक हुए भरत
जागरण संवाददाता पानीपत न्यू रामा कृष्णा ड्रामेटिक क्लब तहसील कैंप रामलीला में वीरवार को
जागरण संवाददाता, पानीपत : न्यू रामा कृष्णा ड्रामेटिक क्लब तहसील कैंप रामलीला में वीरवार को भरत मिलाप और सुरपनखां सीन का मंचन किया गया। भरत मिलाप देख दर्शकों की आंखें भर आईं।
प्रथम ²ष्य में भरत व कैकई, फिर भरत व कौशल्या का वार्तालाप का मंचन हुआ। श्रीराम को वापस लाने की तैयारी तथा भरत का गुरु विशिष्ठ पर क्रोधित होना दिखाया गया। उनके होते हुए राम को वनवास क्यों हुआ और राजा दशरथ ने प्राण क्यों त्याग दिए। भरत के तीन गीत व कौशल्या का एक गीत भी दिखाया गया। इसके बाद भरत का वन में जाना और श्रीराम, सीता व लक्ष्मण से मिलना। पहले तो लक्ष्मण दूर से भरत को आता देखकर गलत अंदाजा लगाते हैं कि भरत सेना लेकर राम से युद्ध करने के लिए आ रहे हैं। श्रीराम उसे समझाते हैं कि भरत का मन ऐसा नहीं है कि वह बड़े भाई से युद्ध करे। पास आने पर भरत, श्रीराम के चरणों में गिरते हैं और श्रीराम गले से लगा लेते हैं। इस भावविभोर कर देने वाले ²ष्य एवं राम के गीत क्यूं भाई आंसू बहते हैं व भरत के गीत चले आए भरत को आप दुनिया दीन से खो के..,ने सबकी आंखें नम कर दीं। भरत मिलाप की समाप्ति के बाद सुर्पन्खा को दिखाया गया। सुर्पन्खा की भूमिका में विजय रंगीला रहे। कई गीत गाकर अपनी अदायगी का लोहा मनवाया। लक्ष्मण ने तंग होकर उसकी नाक काट उसे सबक सिखाया। वीरवार को दर्शकों की अच्छी भीड़ रही। राम बने प्रमोद चोपड़ा, लक्ष्मण बने सुरेंद्र चोपड़ा, सीता बने हरीश वर्मा, वशिष्ठ बने पूर्ण सम्मी, कैकयी बने कंवर भान, कौशल्या बने अशोक चोपड़ा, भरत बने कमल नयन वर्मा व शत्रुध्न बने अजय चोपड़ा ने शानदार अभिनय का परिचय दिया। हारमोनियम पर दिनेश वर्मा, ढोलक पर कमल सम्मी, कलाकारों का मेकअप राम मल्होत्रा, दीपक मल्होत्रा व दीवान पेंटर ने किया। मन्नत पूरी होने पर कई लोग मनौती दी। कई नवजात बच्चों को लोरिया भी दी गई। मंच संचालन धर्मपाल चोपड़ा ने किया।
उधर, हैदराबादी रामलीला एवं ड्रामेटिक क्लब की ओर से सनौली रोड पर आयोजित रामलीला में वीरवार को राम वनवास और सीता हरण का मनोहारी मंचन किया गया। प्रेम मल्होत्रा पासी ने भगवान राम, संगम चौपड़ा ने माता सीता और नरेश सोनी ने लक्ष्मण के रुप में शानदार अभिनय से खूब तालियां बटोरी। इस दौरान प्रधान जगदीश बांगा, बसंतलाल रामदेव, कोटू जुनेजा, भूषण वधवा, युद्धवीर रेवड़ी, जवाहर जुनेजा, शक्ति सिंह रेवड़ी, भूषण, गणपत खुराना, जोगिद्र खुराना, किशन वधवा, पंकज आहुजा, सोहनी रेवड़ी, सतीश जुनेजा और बलराज मेहंदीरत्ता का सहयोग रहा।