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रथ छोड़, कार में बैठे जगत के नाथ

हे जगत पिता भगवान तुम्हारी जय होवे.। जयकारों के बीच मंगलवार सुबह छह बजे भगवान जगन्नाथ की सांकेतिक रथयात्रा निकाली गई। यात्रा में ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं हुई। कार में सवार कर भगवान जगन्नाथ को देवी मंदिर ले जाया गया। रस्म अदायगी के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर पंचायत के सदस्य वापस मंदिर लौट आए। जगन्नाथ मंदिर के 126 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर देवी मंदिर नहीं पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 06:17 AM (IST)
रथ छोड़, कार में बैठे जगत के नाथ
रथ छोड़, कार में बैठे जगत के नाथ

जागरण संवाददाता, पानीपत : हे जगत पिता भगवान तुम्हारी जय हो..। ऐसे जयकारों के बीच मंगलवार सुबह छह बजे भगवान जगन्नाथ की सांकेतिक रथयात्रा निकाली गई। यात्रा में ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं हुई। कार में बैठाकर भगवान जगन्नाथ को देवी मंदिर ले जाया गया। रस्म अदायगी के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर पंचायत के सदस्य वापस मंदिर लौट आए।

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कोरोना संक्रमण के चलते धार्मिक आयोजन पर रोक है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन इस यात्रा की तैयारी एक माह पहले से बैठक कर शुरू कर देता है। लॉकडाउन के चलते इस बार सादगी से आयोजन किया गया। सोमवार को मंदिर परिसर में झंडा समारोह का आयोजन किया गया। प्रत्येक वर्ष रथयात्रा निकालने से एक दिन पहले यह आयोजन होता है। शाम सात बजे संकीर्तन से मंदिर परिसर गूंज उठा। मंगलवार सुबह पांच बजे पंडित सुरजीत शुक्ला ने मूर्तियों की विधि विधान से पूजा अर्चना कराई। बोली की रस्म नहीं हुई

रथयात्रा निकालने से दो घंटे पहले प्रत्येक वर्ष चंवर डोलाने व भगवान को रथ में बिठाने की बोली लगाई जाती थी। जिसे यह सौभाग्य प्राप्त होता भगवान जगन्नाथ की उस पर विशेष कृपा बरसती थी। कोरोना लॉकडाउन के चलते इस बार बोली की रस्म नहीं हुई। पहली बार 1894 में निकाली गई पहली यात्रा

मंदिर के प्रधान राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि पानीपत से 1890 में लाला बलदेव दास ओड़िसा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने गए थे। आषाढ़ महीने में निकाली जाने वाली भव्य रथयात्रा में भाग लिया। इससे प्रेरित होकर उन्होंने 1894 में पहली बार जगन्नाथ मंदिर से देवी मंदिर तक रथयात्रा निकाली। तभी से प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन होता है। खास बात यह है कि 1947 में हुए देश के विभाजन और 1975 में आपातकाल के दौरान भी रथयात्रा निकाली। मंदिर में पुराने व नए दोनों रथ खड़े हैं। माथा टेकने पहुंचे सांसद व विधायक

सांकेतिक रथयात्रा महोत्सव में सुबह आठ बजे माथा टेकने सांसद संजय भाटिया और विधायक प्रमोद विज भी पहुंचे। मंदिर पंचायत समिति की तरफ से उन्हें पगड़ी व स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर सरपरस्त कन्हैया लाल, कैशियर लालचंद, प्रबंधक दिलीप गुप्ता, सचिव हितेंद्र कंसल, योगेश गुप्ता, जयपाल कंसल, दिनेश मित्तल व प्रदीप तायल मौजूद रहे।


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