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रियल एस्टेट में नुकसान ने बदली राह, बने बड़े मशरूम उत्पादक, दूसरों को दे रहे रोजगार

रियल एस्‍टेट में नुकसान हुआ तो यमुनानगर के संजय शर्मा ने अपनी राह बदली। अब उत्तर भारत के बड़े मशरूम उत्पादक हैं। देश के कई राज्यों के अलावा नेपाल तक बटन मशरूम की सप्लाई कर रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 06:36 PM (IST)
रियल एस्टेट में नुकसान ने बदली राह, बने बड़े मशरूम उत्पादक, दूसरों को दे रहे रोजगार
रियल एस्टेट में नुकसान ने बदली राह, बने बड़े मशरूम उत्पादक, दूसरों को दे रहे रोजगार

पानीपत/यमुनानगर, [अवनीश कुमार]। हार को जीत में बदलने वाले विरले होते हैं। हरियाणा के जिला यमुनानगर के संजय भी ऐसे ही हैं। ऑटोमोबइल व रियल एस्टेट कारोबार में जीवन भर की पूंजी गंवा दी, मगर हौसला नहीं छोड़ा। एक मजाक से आए आइडिया ने आज न केवल उन्हेंं उत्तर भारत के बड़े मशरूम उत्पादकों में शुमार करा दिया, बल्कि वह 300 से अधिक लोगों के लिए रोजगार के जनक भी बन गए हैं।  

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मशरूम खाते हुए ही मिला खेती आइडिया

संजय शर्मा ने 2015 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में ऑटोमोबाइल पाट्र्स का कारोबार शुरू किया, मगर इसमें घाटा रहा। इस कारोबार को बंद कर उन्होंने रियल एस्टेट में पांव जमाने का प्रयास किया, लेकिन यहां भी सफल नहीं हुए। रियल एस्टेट कारोबार में मंदी आई तो जिंदगी का पहिया पटरी से उतरता नजर आया। संजय बताते हैं कि जगाधरी में खेड़ा पावर हाउस के पास करीब साढ़े छह एकड़ जमीन थ्री स्टार होटल बनाने के लिए ली थी। मंदी के कारण ये प्रोजेक्ट भी रुक गया। इसी दौरान एक दिन दोस्तों के साथ मशरूम खा रहे थे। एक दोस्त ने मजाक में कहा कि क्यों न मशरूम की ही खेती की जाए। दोस्त के मजाक ने उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया।

 

7 टन प्रतिदिन तक पहुंच गया उत्पादन का आंकड़ा

संजय के मुताबिक कई राज्यों में मशरूम प्लांटों का भ्रमण किया। खेती के बारे में जानकारी भी जुटाई। इसके बाद छोटे स्तर पर मशरूम की खेती शुरू की। हाथ में जमा पूंजी नहीं थी तो दोस्तों और रिश्तेदारों से मदद लेकर किसी तरह से 30 लाख रुपये जुटाए। इसी पूंजी से मशरूम प्लांट का काम शुरू किया। शुरूआत में प्रतिदिन एक टन मशरूम उगाते थे। धीरे-धीरे बढ़ कर यह आंकड़ा 7 टन प्रतिदिन तक पहुंच गया।

 

पहले सरकार से खरीदा बीज, अब खुद करते हैं तैयार

संजय ने मशरूम की खेती के लिए पहले स्पान (बीज) खरीदा। अब मशरूम के साथ कंपोस्ट व स्पान भी खुद ही तैयार कर रहे हैं। अपने प्लांट में तैयार स्पान और कंपोस्ट को वह दूसरे छोटे उत्पादकों को भी बेचते हैं। प्लांट में तैयार मशरूम को दूसरे राज्यों तक पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट के तौर पर संजय ट्रेनों सहारा लेते हैं। आसपास के एरिया के 300 लोग उनके प्लांट में कार्य कर रहे हैं। इसमें करीब 150 महिलाएं हैं। 

दिल्ली से लेकर नेपाल तक जाता है माल 

संजय के प्लांट में बटन मशरूम पैदा होती है। सबसे अधिक इसी मशरूम की डिमांड है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर के अलावा गोरखपुर के रास्ते नेपाल में भी मशरूम सप्लाई की जा रही है।

स्नो फार्म मशरूम प्लांट दस टन क्षमता का है। इतना बड़ा प्लांट निश्चित रूप से उत्तर भारत में नहीं है। प्लांट की वजह से काफी लोगों ने उत्पादन शुरू किया है।

-डा. रमेश सैनी, जिला उद्यान अधिकारी, यमुनानगर


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