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500 रुपये तक बासमती धान के रेटों में आई गिरावट, 4800 से 4300 पहुंचा धान का रेट

किसानों का कहना है कि पिछले सप्ताह 1121 और बासमती के भाव बढ़ गए थे लेकिन अब रेट कम आने से किसानों ने धान को घर पर ही स्टॉक कर लिया था। अगर इसी प्रकार धान की फसलों की बेकद्री होती रही तो वे खेती करना ही बंद कर देंगे।

By Pankaj KumarEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 12:05 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 12:05 PM (IST)
500 रुपये तक बासमती धान के रेटों में आई गिरावट, 4800 से 4300 पहुंचा धान का रेट
औने- पौने दामों में खरीदे जा रहे धान।

कैथल, जेएनएन : पिछले तीन दिनों में 500 रुपये तक बासमती धान के रेटों में गिरावट आई है। किसान मायूस होना शुरू हो गए है। किसानों ने अब अपनी रोकी हुई बासमती धान को निकालना शुरू कर दिया है डर है कि कहीं ओर ज्यादा रेटों में गिरावट न आ जाए। एक सप्ताह पहले बासमती धान के रेट 4800 के करीब पहुंच गए थे। अब 4300 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच हुए है।

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किसानों का कहना है कि किसानों की धान की इस बार औने- पौने दामों में खरीदे जा रहे है। धान के रेट लागत के हिसाब से भी नहीं मिल रहे है। किसानों का कहना है कि पिछले सप्ताह 1121 और बासमती के भाव बढ़ गए थे, लेकिन अब रेट कम आने से किसानों ने धान को घर पर ही स्टॉक कर लिया था। किसान रामकुमार, संदीप व राजेश ने बताया कि अगर इसी प्रकार मंडियों में धान की फसलों की बेकद्री होती रही तो किसान खेती करना ही बंद कर देंगे, क्योंकि खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनकर रह गई है और छह महीने किसान अपने खेत में कड़ी मेहनत करने के बाद भी किसानों पर कर्ज का बोझ निरंतर बढ़ रहा है।

पीआर धान की आवक मंडियों में बंद

पीआर धान की आवक मंडियों में बंद हो गई है। 1121 व मुच्छल की आवक भी कम हुई है। बासमती धान की आवक जोरों पर है। शुरुआत में भी 1509 और पीआर धान के भाव भी इस बार किसानों को कम मिले थे । उसके बाद 1509 व 1121 की धान की बेकद्री हो रही है। आढ़ती धनीराम ने बताया कि कुछ दिनों पहले रेट 4800 रुपये बासमती धान का मिल रहा था। अब 4300 रुपये पहुंच गया है। किसानों को कम रेट मिल रहे है।

अभी भी दूसरे राज्यों से सस्ता चावल मंगवा रहे राइस मिलर

यमुनानगर : सरकार को चावल वापस लौटाने के नाम पर राइस मिलर बड़ा फर्जीवाड़ा करते हैं। जिले में सात ट्रक बाहर से आए चावलों के पकड़े गए हैं। जिसकी अभी जांच चल रही है, लेकिन बाहर से आया यह चावल फर्जीवाडे का इशारा कर रहा है। शनिवार को जिले के दो राइस मिलरों ओम राइस मिल व शिवशंकर राइस मिल के सामने से यह ट्रक पकड़े गए हैं। यदि अधिकारियों ने सही से जांच की, तो चावल घोटाले का जिन्न बाहर आ सकता है। 

दरअसल, राइस मिलों को सरकार की ओर से डीएफएससी, हैफेड व वेयर हाउस के जरिए कुटाई के लिए जीरी दी जाती है। इसके बदले में सरकार को प्रति क्विंटल जीरी पर 67 किलो के हिसाब से चावल लौटाया जाता है। इस सीजन में जिले के 159 राइस मिलरों को सात लाख 11 हजार 422 मीट्रिक टन जीरी दी गई। कुछ राइस मिलर खरीद का फर्जी रिकॉर्ड तैयार कर लेते हैं। हकीकत में धान खरीदी नहीं की जाती। जहां तक सरकार को चावल लौटाने की बात है। इसकी व्यवस्था पड़ोसी राज्यों से सस्ता चावल खरीदकर कर ली जाती है। इसके लिए कुछ राइस मिलर दूसरे प्रदेशों से सस्ता चावल खरीदकर स्टॉक पूरा कर लेते हैं। इससे वह जीरी की कुटाई करने से बच जाते हैं। इस अवैध व्यापार में राइस मिलर मोटा मुनाफा कमाते हैं। प्रदेश में इस तरह से 300 करोड़ रुपये का चावल घोटाला उजागर हुआ था। जिसके बाद सभी मिलों की फिजिकल वैरिफिकेशन कराई गई थी। 

715957 एमटी धान दिया था मिलरों को

यमुनानगर में 159 राइस मिलर हैं। जिनको कुल 715957 मीट्रिक टन धान कुटाई के लिए दिया गया था। वर्ष 2019 में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने 355225 एमटी, हैफेड ने 117412 व हरियाणा वेयरहाउस कार्पोरेशन ने 243320 एमटी धान मिलरों को दिया था। 67 प्रतिशत के हिसाब से मिलरों को 479691 क्विंटल चावल कुटाई के बाद लौटाना था। 30 दिसंबर तक मिलरों को 30 प्रतिशत, जनवरी, फरवरी व मार्च में 20-20 प्रतिशत तथा अप्रैल में शेष 10 प्रतिशत चावल लौटाना था। पहले चावल लौटाने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल थी। जिसे बढ़ाकर पहले 30 जून व बाद में 15 जुलाई तक कर दिया गया। 159 राइस मिलों में से हैफेड ने 72 और हैफेड व एचडब्ल्यूसी ने 87 मिलों को धान दे रखा था। इनमें से तीन राइस मिलरों ने चावल नहीं लौटाया। जिस पर उनके खिलाफ केस भी दर्ज कराए गए थे।


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