46 हजार हेक्टेयर में जौ की बिजाई, पैदावार 1.70 लाख टन
रबी के सीजन में प्रदेश में गेहूं के साथ-साथ चने और जौ की भी बिजाई की जाती है।
जागरण संवाददाता, पानीपत: रबी के सीजन में प्रदेश में गेहूं के साथ-साथ चने और जौ की भी बिजाई की जाती है। इसके लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग की तरफ से अलग अलग लक्ष्य रखा है। हालांकि कुछ जिले ऐसे भी है, जिनमें चने और जौ की बिजाई का कोई लक्ष्य नहीं रखा। इसमें ज्यादातर जीटी रोड बेल्ट पर लगते हैं। जहां ज्यादातर धान और गेहूं की बिजाई ही होती है। ऐसे रखे गए हैं लक्ष्य प्रदेश में चने की बिजाई का लक्ष्य एक लाख 4 हजार हेक्टेयर रखा। इसमें एक लाख 40 हजार टन उत्पादन का अनुमान है। जौ बिजाई का लक्ष्य 46 हजार हेक्टेयर है। एक लाख 70 हजार टन पैदावार की संभावना है। इसी तरह रबी की दाल का 10 हजार हेक्टेयर में बिजाई का लक्ष्य रखा है। इसमें 26 हजार टन दाल का उत्पादन होने का अनुमान है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक चना शुष्क और ठंडे जलवायु की फसल है। इसे रबी मौसम में ही उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए 24-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। फसल के दाना बनते समय 30 डिग्री सेल्सियस से कम या 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापक्रम हानिकारक रहता है। ¨सचित एरिया में चना की बिजाई 20 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की जा सकती है। वैसे 25 अक्टूबर से 5 नवंबर का समय बिजाई के लिए सबसे अच्छा रहता है। वहीं जौ की बिजाई का उचित समय नवंबर के प्रथम सप्ताह से आखिरी सप्ताह तक होता है। देरी होने पर बिजाई मध्य दिसंबर तक की जा सकती है। जिला चना (हेक्टेयर में) जौ (हेक्टेयर में) हिसार 15 हजार 8 हजार फतेहाबाद 05 हजार 4 हजार सिरसा 10 हजार 8 हजार भिवानी 31 हजार 5 हजार रोहतक 04 हजार 3 हजार झज्जर 04 हजार 3 हजार सोनीपत -- - गुरुग्राम -- 2 हजार फरीदाबाद -- - करनाल -- - पानीपत -- - कुरुक्षेत्र -- - कैथल -- - अंबाला 01 हजार - पंचकूला -- - यमुनानगर 02 हजार - जींद -- 1 हजार महेंद्रगढ़ 15 हजार 2 हजार रेवाड़ी -- 2 हजार मेवात 04 हजार 2 हजार पलवल -- 1 हजार चरखी दादरी 13 हजार 5 हजार