गेहूं निकालने दिहाड़ी पर गया, लौटा तो पता चला देवीलाल ने चुनाव लडऩे को दिया टिकट Panipat News
वर्ष 1987 में लोकदल सरकार में विधायक रहे बनारसी दास को देवीलाल खेत में गेहूं काटने गए थे। जब घर लौटकर आए तो पता चला कि उन्हें टिकट मिला है।
पानीपत/कैथल, [सुरेंद्र सैनी]। वर्ष 1987 के विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले की बात है, गेहूं का सीजन चल रहा था, वे रात को थ्रेशर मशीन पर गेहूं निकालने के लिए 30 किलोग्राम गेहूं की दिहाड़ी पर गया था, सुबह जब वापस आया तो पता चला कि देवीलाल ने उसे कलायत हलके से चुनाव लडऩे के लिए टिकट दिया है। कैंची चौक पर पहुंचा तो वहां सब बधाई देने लगे। पता चला कि अखबार में भी प्रत्याशी के रूप में नाम आया हुआ है, लेकिन उसे विश्वास सा नहीं हुआ और वह उस समय पार्टी के हलका प्रधान सवाही राम को लेकर दिल्ली पहुंचे। वहां चौटाला निवास पर शरद पंवार व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी बैठे हुए थे। दोनों ने उसे टिकट मिलने की बधाई देते हुए हलके में चुनाव लडऩे का आशीर्वाद दिया। इसके बाद वे अपने गांव चौशाला पहुंचा और परिवार व ग्रामीणों के साथ मिलकर चुनाव प्रचार शुरू किया।
वर्ष 1987 में देवीलाल की लोकदल सरकार में विधायक रहे बनारसी दास ने बताया कि आज लाखों व करोड़ों रुपये खर्च कर भी टिकट नहीं मिलती, लेकिन देवीलाल ने गरीब व कमरे वर्ग को राजनीतिक क्षेत्र में लाने का काम किया। इस चुनाव में वे 26 हजार 490 वोटों से जीते।
विधायक दल की बैठक में लेट होने पर देवीलाल ने चौशाला से चंडीगढ़ तक लगवा दी थी रोडवेज बस
पूर्व विधायक बनारसी बताते हैं कि उसके पास कोई वाहन नहीं था। वे चंडीगढ़ में जब भी जाते तो गांव से सात किलोमीटर दूर कलायत शहर में गांव से लोग उसे ट्रैक्टर पर छोड़कर जाते थे, इसके बाद रोडवेज की बस में सवार होकर चंडीगढ़ जाता था। एक दिन मुख्यमंत्री देवीलाल ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी, इसमें वे आधा घंटा लेट हो गया। देवीलाल ने कहा कि हर बैठक में लेट क्यों आते हो तो उन्होंने जबाव दिया कि मेरे गांव में बस की सुविधा नहीं है। इस पर देवीलाल ने उस समय सरकार में परिवहन मंत्री धर्मबीर सिंह को कहते हुए स्पेशल बस चौशाला से चंडीगढ़ तक शुरू करवाई थी। इस बस सुविधा का न केवल चौशाला गांव को बल्कि आसपास के गांव के लोगों को भी फायदा हुआ।
घर में दो कमरे थे, इसलिए लौटा दिया था गनमैन
पूर्व विधायक बताते हैं कि एमएल बनने के बाद सरकार ने उसे एक सुरक्षा कर्मी दे दिया, लेकिन उसने इसे वापस लौटा दिया। जब देवीलाल को पता चला कि गनमैन लौटा दिया है तो कारण पूछा। बताया कि उसके घर में दो कमरे हैं, एक में घरेलू सामान है व दूसरे में परिवार सोता है। इस गनमैन को वे कहां रखेंगे।
जींद जिले का अंतिम हलका होता था कलायत, नरवाना में बनाया गया था मतगणना केंद्र
बनारसी दास ने बताया कि कलायत हलका आरक्षित क्षेत्र था। जींद जिले का यह अंतिम हलका था। उस समय इसका मतगणना केंद्र नरवाना होता था। जब परिणाम घोषित हुआ तो वे नरवाना से ही आए थे। लोकसभा क्षेत्र में भी यह हलका हिसार संसदीय सीट में आता था। 2009 के बाद यह हलका सामान्य सीट हो गई।