धान की पराली या अवशेष जलाने पर प्रतिबंध, मान नहीं रहे किसान
डीसी सुशील सारवान ने दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत धान की पराली व बचे अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। जिले में किसान प्रशासन व विभाग की नाक के नीचे धान की फसल के बचे अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। हर रोज कहीं न कहीं अवशेष जलाए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत : डीसी सुशील सारवान ने दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत धान की पराली व बचे अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। जिले में किसान प्रशासन व विभाग की नाक के नीचे धान की फसल के बचे अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। हर रोज कहीं न कहीं अवशेष जलाए जा रहे हैं।
डीसी ने आदेशों में कहा है कि जिला पानीपत में अवशेष या पराली के जलने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे तनाव, क्रोध और मानव जीवन के भारी खतरे की सम्भावना बनी रहती है। फसल की कटाई के बाद बचे अवशेष व पराली के जलाने से पशुओं के चारे की कमी होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में किसान पराली या अवशेष जलाने की बजाय उनका सदुपयोग करें। परंतु कुछ किसान कंबाइन से की गई धान कटाई से बचे फसल अवशेषों को आग के हवाले कर रहे हैं। एक गांव रेड व 15 येलों जोन में
जिले में एक गांव को रेड व पंद्रह को येलो जोन में रखा गया है। यहां पराली जलाने के ज्यादा मामले सामने आते हैं। मतलौडा खंड के गांव उरलाना कलां को रेड जोन में शामिल किया गया है। जबकि पानीपत खंड के काबड़ी, जाटल, गढ़सरनाई, गांजबड़, बराना, मतलौडा खंड के वैसर, नारा, महम्मदपुर, थिराना, कवि, दरियापुर, बोहली, बापौली खंड के डाडोला, मतरौली, राणा माजरा गांव को येलो जोन में रखा गया है। तीन केस आए सामने, लगाया जुर्माना
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. वीरेंदर देव आर्य ने बताया कि हरसेक के जरिये मिली लोकेशन में से महावटी, नोहरा व बलाना में किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाना पाया गया। तीनों किसानों पर 2500-2500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने बताया कि हरसेक के अलावा उनकी विभागीय टीम भी नजर रखे हुए है। साथ ही कैंप लगा किसानों को पराली व अवशेषों का सदुपयोग करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है।