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आयुष्मान नहीं होती तो सर्जरी के लिए लेना पड़ता कर्ज

स्कीम के विषय में कुछ संदेश देना चाहेंगे? इस पर बुजुर्ग के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। सपाट शब्दों में कहा कि संदेश को जनता ने दे दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 10:37 AM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 06:28 AM (IST)
आयुष्मान नहीं होती तो सर्जरी के लिए लेना पड़ता कर्ज
आयुष्मान नहीं होती तो सर्जरी के लिए लेना पड़ता कर्ज

जागरण संवाददाता, पानीपत: प्रधानमंत्री आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत 2018) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया गरीबों को बड़ा तोहफा है। गदूद (प्रोस्टेट ग्लैंड) बढ़ने के कारण तेज दर्द रहता है। डॉक्टर को दिखाया तो सर्जरी की सलाह दी। छोटे अस्पताल में 40-45 हजार, बड़े अस्पताल में 80 हजार रुपये का खर्च बताया। पैसा नहीं होने के कारण दर्द सहता रहा। दो माह पहले आयुष्मान योजना का गोल्डन कार्ड बना तो अब सर्जरी के लिए भर्ती हुआ हूं।

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सेक्टर-11, न्यू हाउसिग बोर्ड कॉलोनी वासी 66 वर्षीय पूरन चंद ने सनौली रोड स्थित पवनांजलि हॉस्पिटल के बेड में लेटे हुए अपनी पीड़ा भी बताई और खुशी भी जाहिर की। पूरनचंद ने बताया कि वह 60 वर्गगज के मकान में पुत्र मुनेश और उसके परिवार के साथ रहते हैं। करीब 10-12 साल से कोई काम नहीं करते। बेटा कबाड़ी है और पुराना-खराब सामान खरीदकर उसने बड़े स्क्रैप व्यापारियों को बेचने का काम करता है। वह बस उतना ही कमा पाता है कि दो बच्चों-पत्नी का भरण-पोषण कर सके। कुछ माह पहले जब पता चला कि गदूद का ऑपरेशन कराना पड़ेगा, नहीं तो कैंसर बनने के भी कुछ चांस रहते हैं तो परिवार पर पहाड़ सा टूट पड़ा था। ससुराल में बेटी रेखा भी परेशान हो गई थी। जैसे-तैसे गुजर-बसर करने वाले परिवार के लिए 70-80 हजार रुपये का इंतजाम करना बहुत मुश्किल होता है, कर्ज भी नहीं मिलता।

स्कीम के विषय में कुछ संदेश देना चाहेंगे? इस पर बुजुर्ग के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। सपाट शब्दों में कहा कि संदेश को जनता ने दे दिया है। आयुष्मान भारत योजना ने देश में लाखों की जान बचा दी होगी, करोड़ों की आगे बचने वाली है। वर्जन :

आयुष्मान भारत योजना केवल पात्र परिवारों के लिए संजीवनी साबित नहीं हो रही है बल्कि इससे छोटे-मध्यम अस्पतालों को भी काम मिल रहा है। अस्पतालों का भुगतान भी सरकार समय से कर रही है। अभी बहुत से परिवार ऐसे हैं जो किसी कारण से योजना के पात्र नहीं बन सके। इसलिए इसका विस्तार होना आवश्यक है।

डॉ. पवन बंसल, निदेशक-पवनांजलि हॉस्पिटल


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