Pneumonia: नौनिहालों का निमोनिया से करें बचाव, हरियाणा में हर घर तक जाएंगी आशा वर्कर
आशा वर्कर घर-घर जाकर महिलाओं को निमोनिया के लक्षण व बचाव के बारे में जानकारी देंगी। यदि किसी बच्चे में लक्षण हैं तो उसका तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा। जिससे निमोनिया से होने वाली मौतों पर रोक लग सके।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। ठंड का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में सबसे अधिक खतरा शुन्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का रहता है, क्योंकि इस मौसम में नौनिहालों में निमोनिया का खतरा रहता है। हालत अधिक बिगड़ने पर बच्चे की मौत तक हो सकती है। इसलिए ही निमोनिया से नौनिहालों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से वी केयर फोर चाइल्ड कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत आशा वर्कर घर-घर जाकर महिलाओं को निमोनिया के लक्षण व बचाव के बारे में जानकारी देंगी। यदि किसी बच्चे में लक्षण हैं, तो उसका तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा। जिससे निमोनिया से होने वाली मौतों पर रोक लग सके। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, हर वर्ष निमोनिया से हजारों बच्चों की मौतें हो जाती है। समय पर इलाज व लक्षण न पहचानने की वजह से ऐसा होता है। जिले की बात करें, तो यहां पर आंकड़ा एक हजार बच्चों पर 23 का है। यानि 23 बच्चों की निमोनिया होने से मौत हो जाती है। इन मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग यह कार्यक्रम शुरू करेगा।
एक सप्ताह तक चलेगा कार्यक्रम
इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सभी चिकित्सकों व आशा वर्करों के साथ बैठक करेंगे। जिसमें सभी को निमोनिया के लक्षण व बचाव के बारे में बताया जाएगा। आशा वर्कर हर घर तक पहुंचेंगी। जो महिलाओं को शुन्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए जानकारी देंगी। इसके साथ ही बच्चों की जांच की जाएगी। यदि किसी के बच्चे में लक्षण मिलता है, तो उसका तुरंत इलाज शुरू कराया जाएगा।
यह हैं निमोनिया के लक्षण व बचाव
सांस का तेज-तेज चलना, पसली तेज चलना, तेज बुखार, खांसी आना इसके मुख्य लक्षण हैं। ऐसे में बच्चे को ठंड से बचाना बेहद जरूरी है। बच्चे को सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाकर रखे। ठंडी हवा से बचाव के लिये कान को ढके और पैरों में मौजे पहनाकर रखे। ठंडे पानी से दूर रखे। जन्म के छह माह तक बच्चे को मां का दूध पिलाएं। इसके साथ ही नियमित टीकाकरण कराएं।
महिलाओं को करेंगी जागरूक
रादौर के एसएमओ डा. विजय परमार ने बताया कि बच्चे को कुछ भी दिक्कत हो। सबसे पहले मां पहचानती है। इसलिए ही निमोनिया से बचाव के लिए आशा वर्कर घर-घर जाकर महिलाओं को जागरूक करेंगी। इसके लिए एक सप्ताह तक कार्यक्रम चलेगा। नौनिहालों की भी जांच की जाएगी।