मनमानी, प्रशासन ने दी पाइप लाइन दबाने की अनुमति, खनन ठेकेदारों ने बना लिए स्थायी रास्ते
एक नवंबर 2021 से 10 नवंबर 2021 तक यमुना नदी के खनन घाट 14 15 16 व 17 पर प्रशासनिक अधिकारियों ने दौरा किया। इस दौरान खनन घाट 16 व 17 पर रास्ते बनाए हुए मिले। बहाव का बहाव कम होने के कारण प्राकृतिक बहाव बाधित दिखाई नहीं दिया।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में खनन ठेकेदारों की दबंगई इन दिनों खूब चल रही है। नियमों को ताक पर रखकर यमुना नदी में खनन किया जा रहा है। जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक खनन ठेकेदार यमुना में आरसीसी पाइप दबाकर आवागमन के लिए रास्ता बना सकते हैं, लेकिन मौके पर हकीकत कुछ और ही है। यहां तो स्थाई रास्ते बनाकर यमुना का प्राकृतिक बहाव बाधित किया जा रहा है। जबकि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से मौका मुआयना किए जाने के बावजूद संतोषजनक कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है।
एक घाट पर बनाया जा सकता एक ही रास्ता
दरअसल, गुमथला राव निवासी एडवोकेट वरयाम सिंह ने जन सूचना अधिकार के तहत तहसीलदार रादौर से खनन संबंधित नियमों से जुड़ी जानकारियां मांगी थी। स्थायी रास्ते बनाए जाने के सवाल पर जवाब मिला कि एक खनन एजेंसी एक घाट पर एक अनुमति मिलने पर आरसीसी पाइप दबाकर एक ही अस्थाई रास्ता बना सकती है। जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। सरेआम नियम टूट रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे महज खानापूर्ति साबित हो रहे हैं।
मौके पर मिले थे अस्थाई रास्ते
एक नवंबर 2021 से 10 नवंबर 2021 तक यमुना नदी के खनन घाट 14, 15, 16 व 17 पर प्रशासनिक अधिकारियों ने दौरा किया। इस दौरान खनन घाट 16 व 17 पर रास्ते बनाए हुए मिले। यमुना का बहाव कम होने के कारण प्राकृतिक बहाव बाधित दिखाई नहीं दिया। अधिकारियों के मुताबिक अस्थाई रास्तों को हटवा दिया गया है।
तीन मीटर तक कर सकते खनन
तहसीलदार की ओर भेजी गई सूचना के मुताबिक यमुना नदी में खनन एजेंसियां तटबंध के सक्रिय किनारे से 500 मीटर तक क्षेत्र को छोड़कर आगे वाले भाग में तीन मीटर गहराई तक ही खनन किया जा सकता है। यदि मौके पर जांच की जाए तो हकीकत कुछ और ही है। तीन मीटर से अधिक गहराई तक खनन किया जा रहा है। गहराई का कोई मापदंड नहीं है। जिसके चलते यमुना में गहरे खदान हो चुके हैं।
प्राकृतिक बहाव को नहीं किया सकता बाधित
नियम के अनुसार यमुना नदी के प्राकृतिक बहाव में बाधा नहीं पहुंचाई जा सकती। जिसको लेकर एनजीटी सख्त है। कई बार सख्त कार्रवाई भी हुई। सिंचाई विभाग को इस पर कार्रवाई करनी होती है। गुमथला घाट पर खनन एजेंसी लगातार स्टाक कर रही है। फिलहाल यमुना नदी में पानी का स्तर कम है, जो है वह भी स्टाक लगने से बाधित हो जाता है। एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि खनन एजेंसी को रेत स्टाक की अनुमति लेनी होती है। जिसके लिए निर्धारित भूमि की जानकारी भी देनी होती है। वहां भी नियम अनुसार ही रेत स्टाक किया जा सकता है। अगर खनन एजेंसी रेत स्टाक यमुना नदी में ही करती हैं तो नियमों के खिलाफ है।