पार्टी का उद्देश्य अंत्योदय, इसको मैंने भी अपनाया
पानीपत सफल भले ही हो जाओ मगर न भूलना मेहनत के वो दिन सफलता भले ही कदम चूमे न रुकने देना मेहनत के कदम।।
पानीपत: सफल भले ही हो जाओ, मगर न भूलना मेहनत के वो दिन, सफलता भले ही कदम चूमे, न रुकने देना मेहनत के कदम।। कविता की ये लाइनें पानीपत ग्रामीण हलके से लगातार दूसरी बार विधानसभा में पहुंचे नवनिर्वाचित विधायक महीपाल ढांडा पर चरितार्थ होती हैं। ढांडा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद भी उसी ऊर्जा और ²ढ़ संकल्प के साथ कार्यकर्ताओं के बीच रहकर हलके के लिए काम करने को कटिबद्ध हैं। वे ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों और शहर की बाहरी कॉलोनियों में विकास कैसे कराएंगे? यह सब जानने के लिए दैनिक जागरण के सीनियर रिपोर्टर जगमहेंद्र सरोहा ने उनसे बातचीत की। उनके पांच साल के प्लान के बारे में भी जाना। पेश है बातचीत के कुछ अंश। सवाल : विधायक बनने के बाद आपकी जीवनशैली में क्या बदलाव आया? जवाब : किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। मैं पहले जैसा ही हूं। ये जरूर है कि चुनाव के दौरान मैं खुद को समय नहीं दे पा रहा था। अब हर रोज आधे से एक घंटे का समय निकालने की सोच रहा हूं। सवाल : आमजन के साथ व्यवहार में क्या बदलाव आया? जवाब : व्यवहार में बदलाव क्यों? लोगों ने मुझे दूसरी विधानसभा में पहुंचाकर अपना ऋणी बना लिया है। मैं ताउम्र सेवा करने के बाद भी उनका कर्ज नहीं चुका सकता। सवाल : समाज में सबसे तेजी से कौन सा वर्ग बदलता है? सबसे ज्यादा मौके का लाभ कौन उठाता है? जवाब : समाज में कुछ ही लोग बदलने वाले होते हैं। मैं ऐसे लोगों से दूर रहता हूं। सवाल : दिवाली पर इस बार क्या बदलाव महसूस किया? जवाब : मैंने तो कुछ बदलता महसूस नहीं किया। प्रदेश में वही मनोहर सरकार है। इस दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी दूसरी पारी शुरू की। सवाल : किस उद्देश्य के साथ विधायक बने? जवाब : अंत्योदय के उद्देश्य के साथ विधायक बना हूं। यह मेरी पार्टी का भी उद्देश्य है। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को भी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। सवाल : आप अपनी जीत पर कितने आश्वस्त थे? जवाब : मैं अपनी जीत पर पूरी तरह से आश्वस्त था। चूंकि मैंने पांच साल तक जनता के लिए काम किए हैं। इन्हीं के आधार पर चुनाव मैदान में उतरे थे। कुछ दूसरे लोगों को भ्रम था। हलके की जनता ने उनको सच्चाई से अवगत करा दिया। सवाल : कार्यकर्ताओं ने चुनाव में बहुत मेहनत की हैं। उनका ख्याल किस तरह से रखेंगे? जवाब : मैं कार्यकर्ताओं की मेहनत से ही विधानसभा में पहुंचा हूं। मैं और मेरा परिवार कार्यकर्ताओं के साथ हर समय खड़े मिलेंगे। सवाल : अधिकारियों के बेलगाम होने की बात अक्सर उठती रहती है। आप कैसे संभालेंगे? जवाब : मुझे तो आज तक ऐसा कोई अधिकारी नहीं मिला। मैंने पिछले प्लान में 2346 करोड़ के काम कराए हैं। सबका प्लान अधिकारियों ने ही बनाया था। अधिकारियों ने एक काम के लिए कई-कई घंटे तक चर्चा की है। मेरा अगले पांच साल भी ऐसा ही मिलनसार व्यवहार सबके साथ रहेगा। सवाल : आप अपने सामने क्या चुनौती मानते हैं? जवाब : चुनौती बेइमानी करने वालों के सामने आती हैं। मेरी ऐसी कोई नीयत नहीं है। मेरे सामने बाहरी कॉलोनियों को वैध कराना बड़ी चुनौती थी। उनको पिछले प्लान में ही वैध करा लिया है। अब इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधा मुहैया कराने का उद्देश्य है। ढांडा के ये पांच लक्ष्य स्कूलों में मूलभूत सुविधा जुटाकर बच्चों को आधुनिक शिक्षा सुविधा देना। सीएचसी और पीएचसी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर देना और जरूरतमंदों के इलाज और दवा की व्यवस्था कराई जाएगी। राशन वितरण प्रणाली में सुधार की जरूरत है। इसमें व्यापक बदलाव किए जाएंगे। रैनीवेल प्रोजेक्ट शहर की जरूरत है। इन पांच सालों में इस प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा। इसमें शहर के साथ गांव नांगल खेड़ी, रिसालू और कुटानी समेत आसपास के गांवों को भी जोड़ा जाएगा। जल बोर्ड का गठन करना। ग्रामीण हलके में चार बड़े इंडस्ट्री के सेक्टर आते हैं। उनकी पानी की समस्या है। वे इन पांच सालों में जल बोर्ड का गठन कराएंगे और डाइंग यूनिटों को एसटीपी से ट्रीट पानी दिलाएंगे।