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योगासन में अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय सहित 70 गोल्ड मेडल जीत चुकी है अंजलि

हरियाणा की धरा को खेलों के नजरिए से उर्वरा माना जाता है। यहीं के योग गुरु रामदेव भी देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 09:28 AM (IST)
योगासन में अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय सहित 70 गोल्ड मेडल जीत चुकी है अंजलि
योगासन में अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय सहित 70 गोल्ड मेडल जीत चुकी है अंजलि

जागरण संवाददाता, पानीपत : हरियाणा की धरा को खेलों के नजरिए से उर्वरा माना जाता है। यहीं के योग गुरु रामदेव भी देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुके हैं। शहर की पॉश कॉलोनी एल्डिको निवासी ग्रेजुएशन (योग विषय) की छात्रा अंजलि राय का सपना भी गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराना है। वे योगासन की अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय सहित अन्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हुए लगभग 70 गोल्ड मेडल जीत चुकी है। गत वर्ष ही चीन के शेनजेन में आयोजित प्रतियोगिता में चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था।

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अंजलि राय के पिता चंद्रमोहन राय एक प्राइवेट कंपनी में एचआर मैनेजर हैं और मां कनकलता गृहिणी हैं। छोटी बहन आकृति बीटेक में और भाई अभय कक्षा-12 में अध्यनरत है। दैनिक जागरण से खास बातचीत में अंजलि राय ने बताया कि आर्य ग‌र्ल्स पब्लिक स्कूल में पढ़ते समय भी अन्य के साथ योग करती थी। स्कूल की ओर से टीम कुरुक्षेत्र प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई तो वहां सहपाठी ने कहा योग तेरे से नहीं होगा। उसी दिन मैंने इरादा कर लिया कि जिला पानीपत की जर्सी पहननी है। रोजाना चार घंटे योग अभ्यास करती थी। मेहनत रंग लाई, पहले जिले की बाद में हरियाणा की जर्सी पहनने का अवसर मिला। फिजियोथैरेपी की पढ़ाई के लिए कर्नाटक गई।

पढ़ाई के दौरान चीन के शेनजेन में आयोजित इंटरनेशनल प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका मिला। इसमें ओवर ऑल ट्राफी जीती। योग में करियर बनाने का मन हुआ और फिजियोथैरेपी की पढ़ाई छोड़ दी। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश स्थित हिमालयन यूनिवर्सिटी से योग विषय में स्नातक कर रही हैं।

अब आठ घंटे अभ्यास :

अंजलि ने बताया कि नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी तो चार घंटे अभ्यास करतीं थी। इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में एंट्री मिली तो अभ्यास दोगुना कर दिया है। फिलहाल अनंत योगशाला दिल्ली के कोच अमित से ट्रेनिग ले रही हैं। डाइट में वे सुबह के समय दलिया, दोपहर और रात में घर में बना सात्विक भोजन लेती हैं। रोटी देसी घी में डुबोकर खाती हैं, दही का सेवन नहीं भूलती।

पीवी संधु के कोच ने की मदद

अंजलि के मुताबिक शेनजेन जाने के लिए न वीजा था न पैसे। ऐसे में बैडमिटन खिलाड़ी पीवी संधु के कोच ने उनका वीजा बनवाया और 60 हजार रुपये दिए। प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता तो कुछ नगद इनाम भी मिला था। लौटने के बाद वह रकम कोच को सौंप दी थी।

इंटरनेशनल अवा‌र्ड्स

-वर्ष 2019 में देहरादून में आयोजित प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल।

-वर्ष 2018 में शेनजेन में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल।

-वर्ष 2017 में बेंगलुरु में एक गोल्ड मेडल।

-वर्ष 2016 में पांडुचेरी में एक गोल्ड मेडल।

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