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कोरोना काल में मवेशियों के इलाज के लिए भटके पशुपालक, अस्पतालों में न डॉक्टर हैं न दवाएं

कोरोनाकाल मेंअब मवेशियों को इलाज नहीं मिल पा रहा। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक और दवा का अभाव है। पशुपालक इलाज के लिए पशुओं को लेकर प्राइवेट अस्पतालों में भटक रहे हैं। कई बार पशुओं की जान तक चली जाती है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 03:58 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 03:58 PM (IST)
कोरोना काल में मवेशियों के इलाज के लिए भटके पशुपालक, अस्पतालों में न डॉक्टर हैं न दवाएं
असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री और करनाल के अस्पतालों में स्टाफ व सुविधाओं की कमी है।

करनाल, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के तनाव के बीच जिले के 51 पशु अस्पताल वर्षों से अपनी बदहाली के सुधार के लिए जिम्मेदार की तलाश कर रहे हैं। चिकित्सकों के अभाव में मवेशी पालक निजी डाक्टरों का सहारा लेने को मजबूर हैं। कई स्थानों पर न पशु सहायक चिकित्सक और न ही वीएलडीए।

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ऐसे में गांवों के लोग अपने मवेशियों को दूसरे गांवों में अस्पतालों में लेकर जाते हैं। यही नहीं, विकास के दौर में आधुनिक सुविधाओं के अभाव के साथ-साथ इन अस्पतालों में पशुओं का इलाज भी चिकित्सक की मनमर्जी पर निर्भर है। इस वक्त गर्मी और बरसात के मौसम में पशु के बीमार होने के आसार रहते हैं। लचर हालातों का खामियाजा पशुपालक को कीमती पशु की मौत से भुगतना पड़ता है।

पशु के इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भटकते ग्रामीण

भैणी कलां गांव वासी विजयपाल ने बताया कि छह माह से कटड़ी बीमार चल रही है। सरकारी चिकित्सक के अभाव के कारण निजी का सहारा लेना पड़ा। काफी फीस खर्चने के बावजूद अभी तक कटड़ी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। सरकारी अस्पताल में दवा की सुविधा नहीं है और चिकित्सक मनमर्जी के मालिक हैं। कटड़ी की हालत में सुधार न होने के कारण अब उचानी अस्पताल में जांच के लिए जा रहा हूं। विजयपाल ने बताया कि गांव के पशु पालकों के पास करीब छह हजार दुधारू पशु हैँ लेकिन चिकित्सकों की सुविधा रामभरोसे है। गांव के लगभग सभी मवेशी पालक निजी चिकित्सकों पर निर्भर हैं। 

3.50 लाख पशुओं और 15 हजार भेड़-बकरियों के लिए 35 चिकित्सक

सरकार किसी की भी रही हो लेकिन पशुपालकों की वर्षों से अनदेखी की जा रही है। जिले में लगभग 3.50 लाख पशु हैं और 15 हजार भेड़-बकरियों के लिए 35 चिकित्सक हैं। इसके अलावा, बरसात के दिनों में जिले के 51 अस्पताल के परिसर तालाब बन जाते हैं और इनकी चारदिवारी गायब है। अनदेखी के शिकार इन अस्पतालों में पशुओं को कभी इलाज तो कभी दवा नहीं मिलती है।

अस्पतालों में स्टाफ व सुविधाओं की कमी

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. धर्मेंद्र कुमार के अनुसार घरौंडा, इंद्री, असंध और करनाल सब डिवीजनों में 51 पशु अस्पताल हैं और 52 चिकित्सकों की पद हैं। इनमें 17 पद खाली हैं। अस्पतालों की हालत में सुधार के लिए आलाधिकारियों को समय-समय पर लिखा जाता है। इस बात से इन्कार नहीं किया जाता कि असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री और करनाल के अस्पतालों में स्टाफ व सुविधाओं की कमी है। फिर भी पशुपालकों को चिकित्सक अपने स्तर पर बेहतर सेवाएं देने का प्रयास करते है।

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