लिव इन रिलेशनशिप की अजब गजब कहानी, मां ने मासूम को बिलखते छोड़ा दादी ने अपनाया
पानीपत में लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला के युवक के साथ संबंध थे। उनकी एक ढाई माह की बेटी हुई। इसके बाद युवक की मौत हो गई। युवक की मौत के बाद महिला ने बेटी को छोड़ दिया। अब उस बेटी को दादी ने अपनाया है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला ने युवक की मौत के बाद अपनी ढाई माह की बेटी को त्याग दिया था। आखिर, ढाई माह बाद मासूम को अपनों की गोद मिल ही गई। बाल कल्याण समिति के (सीडब्ल्यूसी) सदस्यों के प्रयास से दादा-दादी और बुआ ने बच्ची को अपना लिया है। बच्ची को स्वजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। सीडब्ल्यूसी की सदस्य मीना कुमारी ने दैनिक जागरण को यह जानकारी दी है।
दरअसल, सोनीपत के एक गांव का युवक ट्रक चालक था। शादीशुदा महिला उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। अगस्त में उसने बच्ची को जन्म दिया। आठ सितंबर को युवक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। एक सप्ताह बाद ही महिला बच्ची को मृतक युवक की बहन-जीजा के घर समालखा में छोड़कर लापता हो गई थी। समालखा निवासी व्यक्ति 22 सितंबर को सीडब्ल्यूसी आफिस पहुंचा और बच्ची की देखभाल करने में असमर्थता व्यक्त की थी। महिला के मिलने तक बच्ची को उन्हीं के साथ भेजा गया।
इसके बाद करीब डेढ़ माह तक बच्ची सिविल अस्पताल स्थित स्पेशल न्यू बार्न चाइल्ड केयर यूनिट में रही। अब उसे दादा-दादी और बुआ को सौंप दिया गया है। उधर, समालखा थाना पुलिस बच्ची की मां को तलाशने में अभी तक नाकाम रही है।
यह है कानून
धारा-317 आइपीसी: माता-पिता या नवजात की देखरेख करने वाले व्यक्ति द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे का परित्याग करना अपराध है। दोष सिद्ध होने पर सात साल की सजा या फिर जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
धारा-318 आइपीसी : पैदाइश छिपाने के लिए नवजात को गोपनीय तरीके से जीवित अथवा मृत फेंकना अपराध है। दोष साबित होने पर दो साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
किसी शिकायत की नहीं जरूरत
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धाराएं कहती हैं कि बच्चों का परित्याग संज्ञेय अपराध है। इस दशा में पुलिस को वादी की जरूरत नहीं। संबंधित धाराओं में पुलिस स्वयं मुकदमा दर्ज कर सकती है।