Amavasya 2022: इस साल बन रहा सोमवती व भौमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग, मिलेगा बड़ा लाभ
Amavasya 2022 इस साल सोमवती व भौमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। सोमवती ओर भौमवती दोनों अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। 31 जनवरी को सोमवती दोपहर 2-19 से शुरू हो जाएगी तो एक फरवरी को भौमवती अमावस्या सुबह सूर्योदय में होकर 11-16 तक रहेगी।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। शास्त्रो में सोमवार को लगने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है और मंगलवार को होने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है। दोनों ही अमावस्या का अपना एक खास महत्व है। जो सिद्धि और साधना के लिए चमत्कारी योग है।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि इस बार दो दिन अमावस्या रहेगी। अंतः लोग सोमवती ओर भौमवती दोनों अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। 31 जनवरी को सोमवती दोपहर 2-19 से शुरू हो जाएगी तो एक फरवरी को भौमवती अमावस्या सुबह सूर्योदय में होकर 11-16 तक रहेगी। अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व बताया गया है।
होती है पुण्य की प्राप्ति
ऐसी मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल तिल देने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है। सुहागिनों के लिए इस व्रत का खास ही महत्व है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और शिव पार्वती की पूजा करने से सुहाग की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ाने के लिए भी सुहागिनों को सोमवती अमावस्या का व्रत पूजा करना चाहिए।
इस साल 13 अमावस्या
साल 2022 में 13 अमावस्या तिथि हैं। जिनमें केवल दो ही सोमवती अमावस्या है। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। पंचांग गणना के अनुसार 31 जनवरी को दोपहर में 2:19 बजे तक चतुर्दशी तिथि है। इसके बाद से अमावस्या तिथि लग जाएगी। शास्त्रों में कहा गया है कि सोमवार को कुछ समय के लिए ही अमावस्या तिथि होने पर इसे बेढ़ी और सोमवती अमावस्या मानते हैं। एक फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11:16 बजे तक है। इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है।
सोमवती अमावस्या पर क्या करें
सोमवती अमावस्या पर चतुर्दशी यानी मास शिवरात्रि का संयोग भी कुछ समय के लिए बना हुआ है। इस दिन 10:25 बजे से सिद्धि योग भी लग जाएगा। ऐसे में इस दिन सुबह पैरों के नीचे आक के पत्ते, सिर और माथे पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए स्नान कीजिए।
शिवालय जाकर जल में दूध मिलाकर शिवजी का अभिषेक कीजिए। बेलपत्र और धतूरे को शिवजी को अर्पित करें।
अगर शिवालय न जा पाएं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका अभिषेक कीजिए। जो लोग घर में पारद शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं, वह इस शुभ संयोग का लाभ उठा सकते हैं। घर पर पारद शिवलिंग की पूजा करना भी उत्तम रहेगा।सोमवती अमावस्या के दिन अन्न का दान भी करना चाहिए। व्यक्ति अपनी श्रद्धा अनुसार चावल, दाल, नमक, तिल का दान कर सकते हैं। जिनके माता या पिता देह त्याग कर परलोक चले गए हैं, उन्हें सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए जल में तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर तिल जल अर्पित करना चाहिए।।
भौमवती अमावस्या पर मिलेगी पितृऋण से मुक्ति
भौमवती अमावस्या के दिन पितरों की पूजा अर्चना करने से कोई भी व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो सकता है और पितृ भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन मंगलवार होने के कारण हनुमानजी और मंगलदेव की उपासना करना बहुत ही लाभकारी माना गया है। कोई भी व्यक्ति कर्ज बीमारी या भूमि भवन की समस्या तथा मंगल से संबंधित सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है।
- भौमवती अमावस्या पर सुबह के समय सूर्य उदय होने से पहले उठने का प्रयास करें।
- घर के दक्षिण भाग में पितरों की फोटो या तस्वीर पर माला या सुगंधित पुष्प अवश्य अर्पण करें।
- घर में तामसिक चीजें जैसे प्याज लहसुन मांस मदिरा का प्रयोग बिल्कुल ना करें।
- घर में शाम के समय हर कमरे में रोशनी अवश्य करें।
- इस दिन घर पर आए किसी व्यक्ति को खाली हाथ न लौटाएं।
- भौमवती अमावस्या पर मंगलवार का उपवास रखे और इस दिन नमक का सेवन न करें।
- रोज सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- मंगलदेव के 21 नामों का जाप दोपहर के समय घी का दीपक जलाकर करें।
- अगर मंगल दोष ज्यादा ही समस्या दे रहा हो तो लाल मीठी चीजों का दान करें।
- मंगल के मंत्र का जाप मध्य दोपहर करने से मंगल का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। 2022 की अमावस्या की तारीखें
02 जनवरी, रविवार: पौष अमावस्या 31 जनवरी/01 फरवरी, सोमवती/मंगलवार माघ अमावस्या, मौनी अमावस्या 02 मार्च, बुधवार: फाल्गुन अमावस्या 01 अप्रैल, शुक्रवार: चैत्र अमावस्या 30 अप्रैल, शनिवार: वैशाख अमावस्या 30 मई, सोमवार : ज्येष्ठ अमावस्या 29 जून, बुधवार: आषाढ़ अमावस्या 28 जुलाई, वीरवार : श्रावण अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार : भाद्रपद अमावस्या 25 सितंबर, रविवार: अश्विन अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या 25 अक्टूबर, मंगलवार: कार्तिक अमावस्या 23 नवंबर, बुधवार: मार्गशीर्ष अमावस्या 23 दिसंबर, शुक्रवार: पौष अमावस्या।