Air Pollution: हरियाणा में प्रदूषण बेकाबू, पांच जिलों में गंभीर तो 11 में बहुत खराब स्थिति बरकरार
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आला अधिकारियों का कहना है कि पटाखें व आतिशबाजी से सल्फर डाइ आक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य जहरीली गैस निकलती है। जो कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। हरियाणा के पांच जिलों में फिलहाल प्रदूषण की गंभीर स्थिति बनी हुई है।
जगाधरी(यमुनानगर), [शैलजा त्यागी]। दीपावली के तीन दिन बाद भी प्रदेश में प्रदूषण के हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। प्रदेश के पांच जिलों में फिलहाल प्रदूषण की गंभीर स्थिति बनी हुई है, वहीं 11 में हालात बहुत ज्यादा खराब है। जबकि तीन जिलों में खराब है। बढ़े हुए प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही है। अस्पतालों में सांस व एलर्जी संबंधी मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बरसात के बाद ही प्रदूषण से राहत की उम्मीद की जा सकती है।
पटाखों से निकली गैस ने बढ़ाई दिक्कतें
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आला अधिकारियों का कहना है कि पटाखें व आतिशबाजी से सल्फर डाइ आक्साइड, कार्बनडाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य जहरीली गैसिज निकलती है। जो कि पर्यावरण मेें इस कद्र घूल जाती है, जिन्हें नीचे आने में सात से आठ दिन का समय लग जाता है। इससे पहले अगर बारिश हो जाए, तो लोगों को राहत मिल सकती है। अधिकारियों का कहना है कि पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचता है, लेकिन प्रदेश में जो हालात बने हुए हैं, इसका सबसे बड़ा कारण दीपावली की रात चले पटाखे व आतिशबाजी ही है।
प्रदेश में 182 जगहों पर जली पराली
अंबाला में पांच, फतेहाबाद में 65, हिसार में चार जींद में 34, कैथल में 25, करनाल में 12, कुरुक्षेत्र में चार, रोहतक में दो, पानीपत में सात , पलवल में तीन, सिरसा में 14, सोनीपत में छह, यमुनानगर में एक जगह पर पराली जलाई गई।
यमुनानगर में बढ़ा प्रदूषण का स्तर
दीपावली की रात यमुनानगर में प्रदूषण का स्तर 210 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया था। जो कि सात नवंबर को बढक़र 221 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों यह स्तर बढऩे की ज्यादा उम्मीद है।
दीपावली की रात चले पटाखों से हुआ नुकसान
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सीनियर साइंटिस्ट राजेश गाढ़िया ने बताया कि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं से पर्यावरण को इतना नुकसान नहीं होता, जितना दीपावली की रात चले पटाखों से हुआ है। पटाखों से निकली गैस को नीचे आने में सात से आठ दिन का समय लग जाता है। बरसात होने पर हालात सुधरने की उम्मीद की जा सकती है।
प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति
जिले का नाम प्रदूषण की स्थिति माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में
जींद 463
बल्लभगढ़ 433
हिसार 428
गुरुग्राम 420
पानीपत 405
भिवानी 389
मानेसर 389
बहादुरगढ़ 383
रोहतक 377
चरखीदादरी 376
फरीदाबाद 372
कैथल 367
कुरुक्षेत्र 355
सोनीपत 349
अंबाला 341