Move to Jagran APP

Air Pollution: वायु प्रदूषण का गंभीर बीमारियों से नाता, बचाव में ही समझदारी, कानून भी जानिये

सर्दियां शुरू होते ही स्माग बढ़ने लगता है। जिससे लोगों को काफी तकलीफ होती है। वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ने से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है। ऐसे में सर्दियों में हमें कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखने की जरूरत है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 03:17 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 03:17 PM (IST)
Air Pollution: वायु प्रदूषण का गंभीर बीमारियों से नाता, बचाव में ही समझदारी, कानून भी जानिये
वायु प्रदूषण से होती है कई तरह की बीमारियां।

पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत में दिसंबर की सर्दी, नमी-धुंध के साथ वातावरण में छायी प्रदूषण की परत (स्माग) सेहत को बहुत नुकसान देने वाली है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के साथ जिस तरह से तीसरी लहर का खतरा भी मंडरा रहा है, इससे हालात और चिंताजनक हो सकते है। तमाम बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए स्माग, ज्यादा घातक है।

loksabha election banner

सरकार ने जनहित में तमाम धाराओं के साथ कानून बनाए,सख्ती से लागू नहीं होने के कारण बेअसर रहे हैं। सिविल अस्पताल में मेडिसिन ओपीडी के कंसल्टेंट डा.जितेंद्र त्यागी ने बताया कि कई तरह की खतरनाक गैस व धुंआ वातावरण की नमी (कोहरा) से मिलती हैं तो स्माग बनता है। जहरीला मिश्रण श्वास के जरिए आंखों-फेफड़ों तक पहुंचता है। स्माग कई मायनों में स्मोक और फाग से ज्यादा खतरनाक है।वाहनों और कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण के कारण स्माग का स्तर हर साल बढ़ता ही जा रहा है। शहर और गांव वासियों के के स्वास्थ्य के लिए यह स्थिति नुकसान देने वाली है। यह मौसम बच्चों-बुजुर्गों सहित गर्भवती महिलाओं को अधिक सताता है।

डा. त्यागी के मुताबिक सर्दी के साथ स्माग सबसे अधिक पुरानी बीमारियों जैसे टीबी, दमा, सीओपीडी(क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), किडनी, हार्ट, शुगर, तनाव के रोगियों के लिए ज्यादा घातक है।

इस मौसम में होने वाली दिक्कतें

-खांसी, श्वास लेने में तकलीफ।

-नाक, कान, गला, फेफड़े में संक्रमण।

-रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर।

-आंखों में जलन।

-सीने में दर्द की शिकायत।

-त्वचा संबंधी बीमारियां।

प्रदूषण से बचाव का तरीका

-शरीर को ढ़कने वाले परिधान पहनें।

-आंखों पर चश्मा पहनकर घर से बाहर निकलें।

-प्रदूषित वातावरण में योग-व्यायाम न करें।

-घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं।

-घर से बाहर निकलें तो मुहं पर मास्क लगाएं।

-इनहेलर हमेशा साथ रखें।

-दिन में तकरीबन 3-4 लीटर पानी पिएं।

-घर पहुंचने पर गुनगुने पानी से चेहरा धोएं।

-श्वास लेने में दिक्कत है तो गर्म पानी की भाप लें।

-बीमार लोग समय पर मेडिसिन लें।

प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए मुख्य कानून

-1974 का जल (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम।

-1977 का जल उपकर अधिनियम।

-1981 वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम।

-1986 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम।

-1989 खतरनाक रासायनों के निर्माण, भंडारण और आयात संबंधी

-1989 खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न इंडस्ट्रीज (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) नियमावली।

-2018 जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम।

-2021 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (द्वितीय संशोधन) नियम।

-2019 ओजोन क्षयकारी पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) संशोधन नियम।

-2000 ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियमावली।

-2000 का नगरपालिका ठोस अपशिष्ट नियम।

-2001 बैट्री (मैनेजमेंट और संचालन) नियम।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.