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Haryana GST Scam: स्‍वर्ग सिधार गए लोगों के नाम एग्रीमेंट, रेहड़ी वाले को बनाया फर्म मालिक

Haryana GST Scam हरियाणा मेें जीएसटी घोटालेबाजों ने अजब के खेल किए। जालसालों ने मृत लोगाें के नाम पर एग्रीमेंट किए और रेहड़ी वालों काे फर्जी फर्मों का मालिक बना दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 09:31 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 09:31 PM (IST)
Haryana GST Scam: स्‍वर्ग सिधार गए लोगों के नाम एग्रीमेंट, रेहड़ी वाले को बनाया फर्म मालिक
Haryana GST Scam: स्‍वर्ग सिधार गए लोगों के नाम एग्रीमेंट, रेहड़ी वाले को बनाया फर्म मालिक

अंबाला, [दीपक बहल]। Haryana GST Scam में गजब के खेल हुए। 1181 करोड़ रुपये के इस वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) में घोटाला करने वालों ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के नाम इकरारनामे कर लिए। तीन हजार रुपये की नौकरी करने वाले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी प्रवीण को करोड़ों की फर्म का मालिक बता दिया गया। पुलिस और आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी मुजफ्फरनगर पहुंचे तो पता चला कि प्रवीण देहरादून में एक सीमेंट की दुकान में रेहड़ी चलाता है।

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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का प्रवीण देहरादून में सीमेंट की दुकान में करता है काम

कथित फैक्ट्री के दस्तावेजों में प्रवीण और अंबाला छावनी के तेली मंडी निवासी सुरेंद्र कुमार के बीच 26 जून 2018 को किराये का मकान लेकर एसके इंटरप्राइजेज के नाम से फर्म खोलने अनुबंध दर्शाया गया है, जबकि सुरेंद्र की 12 मार्च 2013 को मृत्यु हो चुकी है। यहां पर खोली गई। लोहे और कबाड़ का कारोबार दिखाने के लिए किए गए अनुबंध वाला यह मकान तीन फीट की गली में 25 वर्गगज में स्थित है। इस पते पर 2 जुलाई 2018 को जीएसटी नंबर लिया गया।

जालसाजों ने अंबाला छावनी की तेली मंडी के मृत व्यक्ति के नाम बनाया इकरारनामा

इस फर्जी फर्म से अगस्त 2018 से सितंबर 2018 तक 4 करोड़ 89 लाख 30 हजार 528 रुपये के ई-वे बिल जारी किए गए। हैरानी की बात यह कि इस दौरान फर्म ने कोई टैक्स भी जमा नहीं कराया। इन फर्जी बिलों के आधार पर सरकार से 52 लाख 42 हजार 557 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया गया। जांच में जब दस्तावेजों के आधार पर पुलिस प्रवीण कुमार के पास पहुंची तो उसने बताया कि उसे नहीं मालूम कि उसका पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज किसने और कहां से हासिल किए।

घोटालेबाज करोड़ों रुपये का कारोबार कर सरकार से 35 लाख 64 हजार 440 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर फरार है। प्रदेश में ऐसे कई प्रकरण उजागर हो चुके, जहां कागजों में फर्म दिखाई गई, वहां मकान या खाली प्लाट हैं। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों ने जिन-जिन जिलों में फर्जीवाड़ा हुआ वहां के संबंधित विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए कहा है।

69 पतों पर निकला फर्जीवाड़ा    

प्रदेश से दूसरे राज्यों में सामान बेचने के बिल काटे गए हैं। जहां-जहां भी जिन पतों पर ऑनलाइन जीएसटी नंबर लिया गया वहां पर मकान या खाली प्लाट मिले हैं। कई मामलों में तो पते ही फर्जी निकले हैं। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों ने घोटाला 1181 करोड़ रुपये तक पहुंचने के बाद इन फर्जी फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट न जाए, इसलिए इन्हें ब्लॉक कर दिया है। सबसे बड़ी लापरवाही आबकारी एवं कराधान विभाग की यह रही है कि जो लोग कागजों में करोड़ों का कारोबार कर रहे थे और रिटर्न तक नहीं भर रहे थे उनका अफसरों ने वेरिफिकेशन करवाना उचित नहीं समझा।

अफसरों की सफाई-

1182.23 करोड़ क्रेडिट राशि की गई पास

हरियाणा के आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि 138 मामलों में से 69 मामले फर्जी हैं या उनका अता पता नहीं है। जांच के बाद यह जानकारी सामने आई है कि इन करदाताओं की 1182.23 करोड़ रुपये की क्रेडिट राशि पास हुई हैं। विभाग ने 15 करदाताओं को रद कर दिया गया है।

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