मजलूमों के अधिकारों की आवाज बनीं, पुलिस स्टेशन से लेकर कोर्ट तक करतीं पीडि़तों की पैरवी Panipat news
पानीपत में एक महिला एडवोकेट न सिर्फ कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ती हैं बल्कि पुलिस स्टेशन में भी बहादुरी से पीडि़तों की पैरवी करती हैं।
पानीपत, जेएनएन। अपने और अपनों के लिए को सभी करते हैं, अनजान की मदद करने से अलग ही सुखद अनुभूति होती है। सेक्टर-छह वासी जिला बार एसोसिएशन की सदस्य एडवोकेट सुनीता कश्यप ने बड़ी बेबाकी से ये शब्द कहे। उन्होंने कुछ केस गिनाए जिसमें उन्होंने मजलूमों (अत्याचार से पीडि़तों) को अभिव्यक्ति का अधिकार दिलाया। पुलिस स्टेशन से लेकर कोर्ट तक पैरवी करती हैं, फीस भी नहीं लेती।
केस नंबर एक
किसी झूठे केस में पुलिस ने सुशीला नाम की महिला को सोनीपत से उठाया और प्लानिंग के तहत जेल भिजवा दिया। पुलिसकर्मियों ने उसका मोबाइल फोन भी छीन लिया था। अगले दिन उसके स्वजन के माध्यम से केस का पता चला। गलत तथ्यों के आधार पर हुई गिरफ्तारी में उसकी कोर्ट से जमानत करायी। उसे अपने अधिकार के लिए लडऩे का हौसला दिया, ताकि कोर्ट में मजबूती से खड़ी रह सके।
केस नंबर दो
गांव संभलगढ़ में जन्मे नवजात को उसकी मां ने लावारिस छोड़ दिया था। एक लड़की नवजात को कपड़े में लपेटे कोर्ट पहुंची। बच्चा काफी नाजुक हालत में था। लड़की से पूछा कि किसका बच्चा है तो उसने पूरा वाक्या बताते हुए कहा कि पुलिस स्टेशन गई थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एसपी से मिलकर नवजात को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। एडवोकेट सुनीता ने चाइल्ड केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत उसकी मां के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
केस नंबर तीन
दस साल की एक बच्ची के साथ उसके पिता ने दुष्कर्म किया था। लड़की मांग के साथ घर से भागकर उनके पास पहुंची। केस लडऩे के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने पहले थाने में उसका मुकदमा दर्ज कराया। केस ट्रायल पर आने पर फ्री मुकदमा लड़ा। लड़की जितनी बार भी कोर्ट पहुंची, उतनी ही बार ऑटो का किराया, कुछ खाने के लिए पैसे दिए। उसे कोर्ट से न्याय और क्षतिपूर्ति भी दिलायी।
केस नंबर चार
करनाल की किशोरी को उसके पिता ने किसी के हाथों बेच दिया था। पुलिस की मदद से वहां से निकाला गया। जिसके चंगुल में भी उसके खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कराया गया। यह केस वे कोर्ट में फ्री लड़ रही हैं। किशोरी कई बार मायूस हो जाती है, उसकी काउंसिलिंग की जाती है कि वह कोर्ट में मजबूती से अपनी लड़ाई लड़े, ताकि अन्य किशोरियों के लिए प्रेरणा बने।