शर्तिया इलाज का दावा करने वालों की खैर नहीं, विज्ञापन से पहले पढ़ लें ये गाइडलाइन
अब शर्तिया इलाज का दावा करने वालों पर आयुष मंत्रालय सख्त हो गया है। ऐसे विज्ञापन देने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। विज्ञापन देने से पहले औषधि नियंत्रक से अनुमति लेनी होगी।
पानीपत [राज सिंह]। हर्बल उत्पाद और आयुर्वेदिक-होम्यपैथिक दवाओं के विज्ञापनों पर अब आप विश्वास कर सकते हैं। दवा कंपनियों को विज्ञापन रिलीज से पहले राज्य औषधि नियंत्रक से अनुमति लेनी होगी। नियंत्रक विज्ञापन में किए गए दावों को कसौटी पर परखेगा। दावे के अनुरूप दवा खरी उतरी, तभी विज्ञापन जारी किया जा सकेगा। इसके लिए केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। उल्लंघन करने पर दवा कंपनी का लाइसेंस भी रद हो सकता है।
आयुष मंत्रालय से जारी अधिसूचना के मुताबिक अब प्रत्येक आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कंपनी को विज्ञापन करने से पहले राज्य सरकार के औषधि लाइसेंस प्रदाता से अनुमति लेनी होगी। राज्य औषधि लाइसेंस प्रदाता की ओर से कंपनी को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी। यह संख्या तभी जारी की जाएगी, जब निर्माता सुनिश्चित करेगा कि उसका विज्ञापन नियम संख्या 120, औषधि एवं प्रसाधन नियमावली के अनुरूप है।
ऐसा प्रचार करने वाली कंपनियों को तीन माह का समय
इसके बाद से वर्तमान में चल रहे कैंसर का शर्तिया इलाज, लंबाई बढ़ाने की दवा, बाल काले-घने बनाएं, मोटापा घटाने और डायबिटीज को छू मंतर करने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगा दी गई है। ऐसा प्रचार करने वाली कंपनियों को तीन माह का समय दिया गया है। इस अंतराल में उन्हें विशिष्ट पहचान संख्या लेनी होगी। अश्लीलता वाले विज्ञापनों पर भी सख्ती से रोक लगाने की तैयारी है।
नई गाइडलाइन के तहत सूचना दी जाएगी
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. अंजू फौगाट ने बताया कि जिले में करीब 10 दवा कपनियां हैं। नई गाइड लाइन की बाबत सभी कंपनियों को सूचना दी जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने पर जिला आयुष अधिकारी (जिला ड्रग कंट्रोलर) की ओर से दवा निर्माता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है। कंपनी का लाइसेंस भी रद किया जा सकता है।
इन स्थितियों में भी आवेदन होगा रद
- निर्माता का संपर्क पता पूर्ण रूप से नहीं दिया गया हो।
- विषय वस्तु में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अश्लीलता झलकती हो।
- किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या सरकारी अधिकारी की फोटो दी गई है।
- आयुर्वेदिक औषधि के बारे में मिथ्या प्रभाव डालता है।
क्या हो सकती है कार्रवाई
- गड़बड़ी प्रकाश में आने पर कंपनी को नोटिस भेजा जाएगा।
- नोटिस में दी गई अवधि में जवाब न मिलने पर लाइसेंस रद किया जाएगा।
- उपभोक्ता भी धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा सकता है।