ट्रेनें कम चली तो पटरियों पर खून भी कम बहा, 45 फीसद कम जान गईं
कोरोना महामारी की वजह से ट्रेनों के आवागमन पर रोक लगा दिया गया था। इसके बाद कुछ ही ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। हालांकि इससे एक फायदा जरूर हुआ। ट्रेनों के आगे कूद कर मरने वाले और ट्रैकों पर मिलने वाले लावारिस शव के मामले में कमी आई।
पानीपत, जेएनएन। साल 2020 में कोरोना काल के बावजूद भी स्थानीय जीआरपी थाना क्षेत्र में 103 लोगों की जान चली गई। इनमें से 95 लोगों की ट्रेन से कटने के कारण मौत हुई, 35 लोगों ने विभिन्न परेशानियों के चलते ट्रेन के सामने कूद अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वहीं 8 लोगों की कुदरती मौत होना पाया गया। 24 लोगों की साल बीतने के बाद भी शिनाख्त नहीं हो पाई है, नतीजन लावारिसों में संस्कार किया गया। पुलिस अब भी मृतकों के स्वजनों को तलाश रही है।
हालांकि मौत के ये आंकड़े साल 2019 के आंकड़ों से लगभग 45 फीसद कम है। साल 2019 में स्थानीय जीआरपी थाना क्षेत्र में 186 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 32 लोगों ने सुसाइड किया था। पुलिस अधिकारियों की मानें तो कोरोना काल में ट्रेनों का संचालन कम होने के कारण ट्रेन की चपेट में आने के मामलों में कमी आई। लोगों को जागरूक करने के लिए कोरोना काल में भी स्पेशल जागरूकता अभियान चलाए गए। थाना क्षेत्र में विशेष टीमें बनाकर गश्त कराई और लोगों को पटरी क्रास ना करने के लिए जागरूक किया गया।
35 लोगों ने परेशान होकर जान दी
कोरोना काल में तनाव बढ़ने के कारण भी काफी लोगों ने जीवन जीने की बजाए मौत को गले लगाना आसान समझा। वहीं कुछ लोगों ने पारिवारिक परिस्थिति संभालने में असफल होने के कारण अपनी जान दी।
जमीन पर किया कब्जे का प्रयास तो ट्रेन से कटा था किसान
जमालपुर गांव के किसान कृष्ण लाल ने 24 सितंबर को ट्रेन के नीचे कटकर जान दे दी थी। बेटे राकेश शर्मा ने पास स्थित गांव पन्नौड़ी के दबंग किसान और उसके परिवार के सदस्यों पर उनकी डेढ़ एकड़़ जमीन पर कब्जे का प्रयास करने का आरोप लगाया था। आरोप था कि उनके पिता कृष्ण लाल ने दबंगों की धमकियों से तंग आकर जान दी थी। मौके पर एक सुसाइड नोट भी मिला था।