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हादसे से भी नहीं टूटा हौंसला, चूमा सफलता का शिखर, जानिए UPSC पास करने वाली प्रीति बेनीवाल की सक्सेस स्टोरी

वर्ष-2019 में पिछड़ने के बाद वर्ष-2020 में परीक्षा के परिणाम में प्रीति का सिविल सेवा परीक्षा में चयन होने पर गांव में खुशी है। प्रीति की मानें तो समाज में आज भी बेटियों को कमजोर नजरिए से देखा जाता है जबकि बेटियां प्रत्येक वर्ग में बुलंदियां छू रही हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 06:10 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 09:03 AM (IST)
हादसे से भी नहीं टूटा हौंसला, चूमा सफलता का शिखर, जानिए UPSC पास करने वाली प्रीति बेनीवाल की सक्सेस स्टोरी
सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली करनाल की प्रीति बेनीवाल।

करनाल, जागरण संवाददाता। समाज में बेटियों को सम्मान दिलाने के लिए असंध के गांव दुपेड़ी की प्रीति बेनीवाल ने अपने बचपन के सपने को सच कर दिखाया है। वर्ष-2019 में पिछड़ने के बाद वर्ष-2020 में परीक्षा के परिणाम में प्रीति का सिविल सेवा परीक्षा में चयन होने पर गांव में खुशी है। प्रीति की मानें तो समाज में आज भी बेटियों को कमजोर नजरिए से देखा जाता है जबकि बेटियां प्रत्येक वर्ग में बुलंदियां छू रही हैं। लोगों को बेटियों के प्रति मानसिकता को बदलने की जरूरत है। बता दें कि प्रीति के साथ वर्ष-2016 में रेल हादसा हुआ था और डेढ़ साल तक बिस्तर पर रही। बाइपास सर्जरी के अलावा उन्हें स्वास्थ्य के लिए कई तकलीफों का सामना करना पड़ा। सभी मुसीबतों के बावजूद प्रीति की हिम्मत कमजोर नहीं पड़ी। आज अपनी सफलता के लिए प्रीति अपने माता-पिता, भाई-भाभी को श्रेय देती हैं। शनिवार को बेटी के घर पहुंचने पर परिवार स्वागत की तैयारियों में है।

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करियर के लिए जिंदगी के संघर्ष को नहीं बनने दिया रोड़ा

प्रीति के सामने एक बार ऐसा समय भी आया जब वक्त ने उसे कमजोर होने के लिए मजबूर किया और समाज के कुछ लोगों ने भी अपनी कमजोर मानसिकता का परिचय दिया। वक्त की मार ही थी कि फरवरी-2016 में शादी के बाद दिसंबर-2016 में रेलवे प्लेटफार्म पर हादसे का शिकार हो गई। स्थितियां ऐसी बनी की प्रीति के माता-पिता को अपनी बेटी की जिंदगी के लिए दिन-रात एक करना पड़ा। भाई पंकज बेनीवाल की माने तो हादसे के बाद प्रीति को दूसरा जीवन मिला है। बाइपास सर्जरी के साथ डेढ़ साल बिस्तर पर रहने के बावजूद परिवार ने उसका हौसला कम नहीं होने दिया। इतने बड़े हादसे से उभरने के बावजूद प्रीति ने मेहनत से मुंह नहीं मोड़ा और सफलता की जिद के लिए अड़ी रही।

बचपन से प्रतिभावान प्रीति हमेशा रही टापर

दुपेड़ी गांव में रहने के बावजूद गांव से तीन किलोमीटर दूर गांव फफड़ाना में निजी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की। थर्मल प्लांट पानीपत में पिता सुरेश कुमार की तैनाती होने के कारण प्रीति ने यहां के स्कूल में अच्छे अंकों से दसवीं पास की। मतलौडा से 12वीं और इसराना कालेज से बीटेक आनर्स, एमटेक आनर्स में उत्तीर्ण रहीं। तेज दिमाग के चलते प्रीति हमेशा शुरु से ही प्रत्येक कक्षा में अच्छे अंकों के साथ लक्ष्य को मजबूत करती रही। प्रीति की माता बबीता गांव में ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं जबकि भाई पंकज बेनीवाल ने अभी पटवारी पद की तैनाती ली है और पंचकूला में ट्रेनिंग पर हैं। इसी तरह भाभी गीता सफीदो के कालेज में लेक्चरर हैं।

प्रतियोगी परिक्षाओं में हिस्सा लेने वालों के लिए आइकान

दुपेड़ी गांव में कमजोर शिक्षा व्यवस्था के बावजूद फरवरी-1991 में जन्मी बेटी प्रीति ने साबित कर दिया है कि अगर मजबूती से लक्ष्य तय किया जाए तो कोई मंजिल पाने से रोक नहीं सकता है। यहां उन लोगों को भी सबक लेना होगा जो अपनी  बेटी की शिक्षा को रोकने का कदम उठाने से परहेज नहीं करते हैं। प्रतियोगी परिक्षाओं में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रीति आइकान से कम नहीं हैं। क्योंकि बलबूते पर करियर में प्रीति ने वर्ष-2013-16 हरियाणा ग्रामीण बैंक में तैनाती ली, फिर वर्ष-2016 भारतीय खाद्य निगम और वर्ष-2021 में विदेश मंत्रालय दिल्ली में असिस्टेंट सेेंक्शन अधिकारी के पद पर तैनाती ली। अब 754 रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा पास की है।


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