बिजली कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल साबित हो रहा आधार लिंक
उपभोक्ताओं का कहना है कि निगम आधार नंबर गोपनीय रखने का भी प्रबंध नहीं कर पाया है। उपभोक्ताओं के तर्क का बिजली कर्मचारी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ता है।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन : उपभोक्ता के बिजली बिल के खाते से आधार लिंक करना बिजली कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल साबित हो रहा है। बिजली कर्मचारियों को देखते ही ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं। ग्रामीणों का एक ही तर्क है कि वे अपने आधार की जानकारी कतई सांझा नहीं करेंगे। ऐसे में बिजली निगम को इसका विकल्प खोजना होगा।
बिजली निगम सभी उपभोक्ताओं के बिल खाते से उनके आधार लिंक करने में जुटा हुआ है। इससे आने वाले समय में बिल के डिफाल्टर होने वाले उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से कम होगी। निगम इसके साथ ही मोबाइल नंबर भी लिंक कर रहा है। जिससे बिल संबंधी सूचना उपभोक्ता के मोबाइल पर झट से पहुंच रही हैं। हालांकि ऐेसा जुड़ाव बेहतर कदम है, मगर आधार लिंक करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। बिजली कर्मचारियों की टीमें जैसे ही गांवों की गलियों में उतरती हैं तो अधिकांश लोग देखते ही घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं।
बैंक खातों की तरह खाते से न हो जाए गड़बड़ी
उपभोक्ता अमित कुमार और राजेश कुमार का कहना है कि सरकार बार-बार हिदायत जारी करती है कि अपना आधार या पैन नंबर संबंधी जानकारी किसी से भी साझा ना करें। आधार लगभग सभी उपभोक्ताओं के बैंक खाते से जुड़े हुए हैं। वहीं आए दिन बैंक खातों से नकदी गायब होने की घटनाएं हो रही हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि निगम आधार नंबर गोपनीय रखने का भी प्रबंध नहीं कर पाया है। उपभोक्ताओं के तर्क का बिजली कर्मचारी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ता है, जबकि अधिकारियों का कहना है कि इससे उपभोक्ता और विभाग के बीच पारदर्शिता स्थापित होगी।
विकल्प पर करें विचार
उपभोक्ता प्रवीण कौशल का कहना है कि निगम को इसके लिए एक परिवार एक पहचान पत्र काम में लाना चाहिए। पहले निगम उपभोक्ताओं के ऐसे पहचान पत्र बनवाना सुनिश्चित करे। इसके बाद आधार की जगह परिवार को ही बैंक खाते से जोड़ दे। इसके अलावा आधार नंबर गोपनीय रखने का पहले प्रबंध करें। इसके लिए कंप्यूटर सिस्टम से कार्य आरंभ करायाज जाए।