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दो साल तक लड़ा सम्मान की लड़ाई, अब धुला दुष्कर्म का कलंक

दो बच्चों की मां ने जिस व्यक्ति पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, वह निर्दोष साबित हुआ। उसने दो साल तक कानूनी लड़ाई जारी रखी। अब उसे इंसाफ मिला है। अदालत ने उसे बरी कर दिया है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 09:53 PM (IST)
दो साल तक लड़ा सम्मान की लड़ाई, अब धुला दुष्कर्म का कलंक
दो साल तक लड़ा सम्मान की लड़ाई, अब धुला दुष्कर्म का कलंक

पानीपत, जेएनएन। जब बात मान सम्मान की तो ठेस पहुंचती है। व्यक्ति ने अपने मान सम्मान के लिए दो साल तक इंसाफ की लड़ाई लड़ी। उन पर दुष्कर्म का कलंक लगा था। ये आरोप दो बच्चों की महिला ने लगाया था। लेकिन न्यायालय से उसे इंसाफ मिला। उन्हें बरी कर दिया गया। जानिए आखिर क्या था मामला।

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नूरवाला निवासी युवक ने दो साल कानूनी लड़ाई लडऩे के बाद दुष्कर्म के आरोप से बरी हुआ। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशिबाला चौहान ने उसे बरी कर दिया है। शिकायतकर्ता महिला और पुलिस इस मामले में कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। गवाहों के बयान भी अलग-अलग थे। 

ये था आरोप
एडवोकेट अजय और मधुर कटारिया ने बताया कि नूरवाला निवासी दो बच्चों की मां एक फैक्ट्री में काम करती है। उसने फैक्ट्री में ड्राइवर मुकेश और उसके दोस्त सलीम पर 4 नवंबर 2016 को महिला थाना में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप था कि 25 अक्टूबर को मुकेश उसे बहला-फुसलाकर सलीम के घर सेक्टर 13-17 में ले गया। वहां बंधक बनाकर कोल्ड ड्रिंक में उसे नशीला पदार्थ पिलाया और दोनों ने बारी-बारी से दुष्कर्म किया।

पुलिस के दबाव में झूठा बयान हुआ था दर्ज
शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध बंधक बनाने, दुष्कर्म करने आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस ने मुकेश को अगले दिन तथा सलीम को 10 नवंबर 2016 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। एडवोकेट बत्ता ने बताया कि महिला ने कोर्ट में सलीम के पक्ष में बयान दिया कि उसने गलत काम नहीं किया, पुलिस के दबाव में झूठा बयान दर्ज कराया था। मुकेश के खिलाफ मुकदमा विचाराधीन रहा।

फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला केस
फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले इस केस में 20 से ज्यादा तारीख लगी, महिला की ओर से 13 गवाह पेश हुए। गवाहों के बयान एक-दूसरे से मेल नहीं हो सके। शिकायतकर्ता महिला और पुलिस ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर सकी, जिससे मुकेश के खिलाफ दोष सिद्ध हो सके। सोमवार को एडीजे कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।  

इन कारणों से बरी हुआ मुकेश

  • घटना के करीब 22 दिन बाद दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराना।
  • शिकायत महिला के ससुर ने दी थी, वह कोर्ट में गवाही देने नहीं पहुंचा।
  • मेडिकल रिपोर्ट में आरोपियों के सीमेन का जिक्र नहीं था।
  • मेडिकल रिपोर्ट में नशीला पदार्थ पिलाने का जिक्र नहीं था।
  • घटनास्थल एक तीन मंजिला मकान है, महिला ने शोर क्यों नहीं मचाया।

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