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व्यक्ति का बदलता व्यवहार यदि परिजन और दोस्त पहचान लें तो 73 प्रतिशत आत्महत्या रोकी जा सकती हैं

कोई भी व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम तभी उठाता है, जब हालात उसके काबू से बाहर हो जाएं। अगर परिवार के लोग, दोस्त और साथ काम करने वाले सचेत हों तो कम से कम 73 प्रतिशत आत्महत्या रोकी जा सकती हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:06 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 11:06 AM (IST)
व्यक्ति का बदलता व्यवहार यदि परिजन और दोस्त पहचान लें तो 73 प्रतिशत आत्महत्या रोकी जा सकती हैं
व्यक्ति का बदलता व्यवहार यदि परिजन और दोस्त पहचान लें तो 73 प्रतिशत आत्महत्या रोकी जा सकती हैं

जागरण न्यूज नेटवर्क, पानीपत : कोई भी व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम तभी उठाता है, जब हालात उसके काबू से बाहर हो जाएं। अगर परिवार के लोग, दोस्त और साथ काम करने वाले सचेत हों तो कम से कम 73 प्रतिशत आत्महत्या रोकी जा सकती हैं।

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मनोचिकित्सक डॉक्टर जगतार ¨सह ने बताया कि आत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में खासा बदलाव आ जाता है। वह अपनी नियमित आदतों को बदल देता है। डॉक्टर ¨सह ने बताया कि इसे परिवार के लोग आसानी से पहचान सकते हैं। दोस्त और साथ काम करने वाले लोग भी समझ सकते हैं। जब भी किसी के व्यवहार में बदलाव नजर आए तो समझ जाना चाहिए कि कुछ गड़बड़ है। शहर में दो दिन में दो आत्महत्या की घटना होने के बाद दैनिक जागरण ने जब मनोचिकित्सकों से बातचीत की तो सामने आया कि आत्महत्या के 15 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जो एक दम से होते हैं। इन्हें रोकना तो थोड़ा मुश्किल है।

कोई मरने की बात करें तो तुरंत समझे खतरे का अलार्म

कोई भी व्यक्ति मरने की बात करता है, इसी तरह का इशारा करता है तो समझ जाना चाहिए कि खतरा है। डॉक्टर जगतार ¨सह ने बताया कि जब भी किसी के दिमाग में आत्महत्या जैसा विचार आता है तो सबसे पहले वह नजदीकी लोगों से इस तरह की बात करना शुरू कर देता है, लेकिन इसके लिए वह बहुत ही औपचारिक रवैया रखता है। यहीं वह लक्षण हैं जिसे पहचानना होगा। इसके साथ ही अकेला रहना। अपना रूटीन बदल लेना। कम बात करना। हर वक्त तनाव में रहना, ऐसे लक्षण हैं जो आसानी से समझ में आ सकते हैं। अक्सर हम इनकी अनदेखी कर देते हैं। जो किसी मायने में सही नहीं है।

तो क्या कदम उठाए जाने चाहिए

मनोचिकित्सकों का कहना है कि इसके लिए सबसे पहले तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि समस्या टल गई है। हमें ऐसे व्यक्ति की वास्तविक समस्या को समझना होगा। उसकी काउंसि¨लग करके मन की बात समझनी होगी। यह पता लगाना जरूरी है कि तनाव की वजह है क्या? इसके बाद उसकी मदद भी करनी होगी। क्योंकि इस हालात में अकेले इलाज से काम चलने वाला नहीं है।

ऐसे व्यक्ति को बताएं कि उनके न रहने से परिवार के हालात क्या होंगे

जब कोई व्यक्ति हालात से घबरा कर आत्महत्या करता है तो वह सोचता है कि अब यहीं उसके पास अंतिम उपाय है, लेकिन वह यह नहीं सोचता कि उसके जाने के बाद भी समस्या तो वहीं रहेगी। इसलिए उन्हें बताया जाना चाहिए कि उसके जाने के बाद परिवार की हालत और भी ज्यादा खराब हो जाएगी। विशेषज्ञों ने बताया कि यदि तनावग्रस्त व्यक्ति को यह समझाया जाए तो वह आत्महत्या का विचार छोड़ सकता है। अक्सर लोग यह समझते हैं कि जिस परिवार में एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली, उसका दूसरा सदस्य ऐसा कदम नहीं उठाएगा। विशेषज्ञ इसे गलत मानते हैं। इनका कहना है कि दूसरा सदस्य भी ऐसा कदम उठा सकता है।


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