अतीत के झरोखे से : विज-शाह की मुलाकात से 52 वर्ष पुरानी यादें हुईं ताजा Panipat News
1967 के चुनावी नारे को पानीपत के लोग एक बार फिर से याद करने लगे हैं। 1982 में भाजपा से चुनाव जीत कर फतेहचंद विज विधायक बने थे।
पानीपत, [अरविन्द झा]। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद विज की पूर्व कांग्रेसी विधायक बलबीर पाल शाह पुत्र हुकुमत शाह से शनिवार को हुई मुलाकात ने 52 वर्ष पुरानी (1967 का चुनाव) यादें ताजा कर दी। तब जनसंघ के कार्यकर्ताओं की जुबान एक ही नारा होता था-
फतेह फतेह चंद की, जय रामेश्वरानंद की।
फक्का मारो खांड दा, वोट फतेह चंद दा।।
फतेहचंद विज के बेटे एवं शहर के प्रमुख निर्यातक प्रमोद विज पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस के संजय अग्रवाल हैं। वर्ष 1967 के चुनाव के बाद कांग्रेस और जनसंघ ने इस सीट को अपने-अपने कब्जे में रखा। विज और शाह की मुलाकात के बाद जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एडवोकेट विनोद भामरी, किशनलाल कात्याल और बलदेव राज कात्याल ने अतीत की कुछ चुनावी यादें साझा की।
एडवोकेट विनोद भामरी ने कहा कि मेरे पिता मंगलदास भामरी 1942 में शेखुपुरा (पाकिस्तान) में आरएसएस के प्रचारक रहे। पानीपत आने के बाद जनसंघ में प्रचारक बने। वर्ष 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। जनसंघ ने फतेहचंद विज को पानीपत से टिकट दिया था। करनाल लोकसभा सीट पर संत रामेश्वरानंद को उतारा गया था। वोट फतेह चंद दा.. का नारा उस समय भी प्रत्येक मतदाता की जुबान पर था। चुनाव में दोनों विजयी रहे। फतेहचंद विज दो बार जनसंघ से, दो बार जनता पार्टी से और 1982 में एक बार भाजपा से विधायक बने।
37 साल बाद दोहराएगा इतिहास
किशनलाल कात्याल ने कहा कि पानीपत से पांच बार विधायक बनने वाले फतेहचंद विज रिश्ते में मामा थे। ट्रांसपोर्ट का कारोबार था। रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए चुनाव में हम सब साथ रहते थे। मुझे याद है कि एक वो नारा जो पंजाबी बिरादरी के लोग हमेशा कहा करते थे, फक्का मारो खांड दा.. वोट फतेह चंद दा। इतिहास स्वयं को दोहराता है। 37 वर्ष बाद भाजपा ने प्रमोद विज को शहरी सीट से प्रत्याशी बनाया है।
पार्टियां अलग, प्रेम एक समान
बलदेव राज कात्याल ने कहा कि जनसंघ के पक्के सिपाही रहे फतेहचंद विज और कांग्रेस के हुकुमतशाह दोनों ट्रांसपोर्टर थे। आसपास में दोनों का कारोबार एक जैसा था। हुकुमतशाह ट्रांसपोर्ट यूनियन के प्रधान और फतेहचंद सचिव थे। पार्टियां दोनों की बेशक अलग-अलग थी लेकिन कभी खटास नहीं दिखी। जनसंघ से जुड़े होने के नाते हम सब फतेहचंद विज का साथ देते थे।