Move to Jagran APP

नाबालिग को 30 दरिंदों ने बनाया हवस का शिकार, एेसे खुला राज

पानीपत के समालखा की एक लड़की 30 लोगों के दुष्‍कर्म का शिकार बनी। इससे वह गर्भवती हाे गई। 14 साल की यह लड़की को ढ़ाई माह का गर्भ है। परिजनों ने अदालत से गर्भपात की अनुमति मांगी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:24 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:24 AM (IST)
नाबालिग को 30 दरिंदों ने बनाया हवस का शिकार, एेसे खुला राज
नाबालिग को 30 दरिंदों ने बनाया हवस का शिकार, एेसे खुला राज

जेएनएन, पानीपत। गरीबी और अपनों की बेरुखी ने एक नाबालिग लड़की की जिंदगी तबाह कर दी। पेट भरने में असमर्थ मजदूर पिता ने 14 वर्षीय बेटी की पढ़ाई छुड़ा एक परिचित महिला के पास छोड़ दिया। इसके बाद उसकी बदनसीबी शुरू हो गई। सबने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया। 30 से ज्यादा दरिंदों की हवस का शिकार बनी। अब ढाई महीने की गर्भवती है। लड़की की हालत गंभीर है। परिजनों ने डीसी से गर्भपात की गुहार लगाई है।

loksabha election banner

अधिवक्ता मोमीन मलिक ने बताया कि समालखा के एक के मजदूर ने बेटी को जिस महिला के पास सुरक्षित मानकर छोड़ा था, उसी के रिश्तेदार ने दरिंदगी का शिकार बनाया। विरोध किया तो मारपीट की। लंबे समय तक दुष्कर्म करता रहा। इसके बाद महिला के भाई और पति ने भी उसे हवस का शिकार बनाया। उसका रिश्तेदार लड़की को खेतों में ले गया, जहां उसके चार साथियों ने दुष्कर्म किया।

मलिक ने बताया कि लड़की 12 साल की हुई तो आरोपित महिला ने उसे कुरुक्षेत्र के ढाबा संचालक को बेच दिया। ढाबा मालिक ने उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में वह ग्राहकों से दुष्कर्म कराने लगा। जब भी पिता लड़की को लेने महिला के घर जाता तो इधर-उधर की बात कर टाल देती थी। पिता को संदेह हुआ तो उसने समालखा थाने में 27 सितंबर को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी।

मलिक ने बताया कि पुलिस ने लड़की को समालखा से बरामद दिखाकर, अदालत में 164 के बयान कराए। उसके जीजा सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। आरोपितों द्वारा बाप-बेटी को मारने की धमकी देेने से डरी लड़की ने कोर्ट में गलत बयान दिए। परिजनों के आरोप पर पुलिस ने दोबारा 164 के बयान कराए तो उसने कोर्ट में अपना दर्द बयां किया। डीसी को पत्र सौंपकर गर्भपात की अनुमति मांगी गई है।

--------

गर्भपात मामले में यह कहता है कानून

वर्ष 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 12 सप्ताह से पूर्व के गर्भ को गिराने के लिए पंजीकृत चिकित्सक की अनुमति जरूरी है। 12 सप्ताह से अधिक और 20 सप्ताह से पहले दो चिकित्सकों का पैनल निर्णय लेगा। 20 हफ्ते से अधिक के गर्भ में हाईकोर्ट की अनुमति ली जाती है।

चिकित्सक इसकी अनुमति केवल उन परिस्थितियों में देते हैं, जिसमें गर्भ को जारी रखने से जच्चा के जीवन को खतरा हो। गर्भस्थ शिशु के शारीरिक या मानसिकता और गंभीर अपंगता का पूर्वानुमान हो तो भी गर्भ समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.