स्कूलों में सोलर सिस्टम लगाने के लिए सोसाइटी को दिए 2.80 करोड़, लगे ही नहीं
अब सरकारी स्कूल सोलर सिस्टम से जगमग नहीं हो पाएंगे। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के बाद इस पर ग्रहण लग गया है।
अरविन्द झा, पानीपत
अब सरकारी स्कूल सोलर सिस्टम से जगमग नहीं हो पाएंगे। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट ने इस पर ग्रहण लगा दिया है। प्रदेश के चयनित 140 सरकारी स्कूलों में यह योजना क्रियान्वित होनी थी। समय पर सिस्टम न लगाए जाने पर हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद (एचएसएसपी) ने उत्कर्ष सोसाइटी को दिए 2.80 करोड़ रुपये वापस मांग लिए हैं। इतना ही नहीं राशि लौटाने में देरी की तो ब्याज भी चुकाना होगा। राशि न चुकाने की स्थिति में संसदीय लोक लेखा समिति (पीएसी) कार्रवाई करेगी।
राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय पंचकूला से 5 जुलाई 2017 को उत्कर्ष सोसाइटी को 2.80 करोड़ की राशि जारी की गई थी। इससे वर्ष 2012-13 और 2013-14 में 140 राजकीय विद्यालयों में हाईब्रीड सोलर सिस्टम लगाया जाना था। महालेखाकार कार्यालय की टीम जब ऑडिट करने पहुंची तो खामियां मिलीं। अब एचएसएसपी के कंट्रोलर ने सोसाइटी को पत्र भेज राशि लौटाने के निर्देश दिए हैं। देरी के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा है।
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सदुपयोग नहीं होने से लग रहा करोड़ों का चूना
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए वर्ष 2007 में एजुसेट सिस्टम चालू किया गया था। सरकारी स्कूलों में 9000 एजुसेट सिस्टम पर 90 करोड़ रुपये खर्च किए गए। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन ¨सह ने हिसार में एजुसेट सिस्टम का 19 मई 2007 को उद्घाटन किया था। इस व्यवस्था को चलाने के लिए सरकार ने एक सोसाइटी का गठन किया। इसे उत्कर्ष सोसाइटी नाम दिया गया। सोलर सिस्टम का सदुपयोग नहीं होने से करोड़ों का चूना लग रहा है।
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2012 में कैग की रिपोर्ट
शिक्षा निदेशालय के सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2012 में कैग ने पर्दाफाश किया था कि करीब 10,000 एजुसेट सिस्टम में से 5779 एजुसेट आउट ऑफ ऑर्डर हो चुके हैं। सिग्नल सिस्टम व तकनीकी खराबी के कारण धूल फांक रहे हैं। कई स्कूलों में जेनरेटर खराब होने और बिजली की सप्लाई के बिना बैट्री डेड हो गई है। यूपीएस भी खराब पड़े हैं।
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ठंडे बस्ते में ईटी ¨वग
स्कूलों में कंप्यूटर लैब, एजुसेट, बायोमीट्रिक मशीन, सोलर सिस्टम और जनरेटर सेट के रखरखाव के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 1 सितंबर 2017 को इलेक्ट्रिकल टेक्निकल ¨वग का गठित करने के निर्देश दिए थे। शिक्षा विभाग के एससीएस केके खंडेलवाल ने 2 दिसंबर 2017 को इस बारे में उत्कर्ष सोसाइटी और शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। नौ माह बीतने के बाद इस ¨वग का गठन नहीं किया गया। अधिकारियों ने इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया।