हीमोफीलिया के जिले में 22 मरीज, पांच का वर्षो से चल रहा इलाज
जागरण संवाददाता पानीपत बदलाव के लिए अनुकूल..जी हां आज विश्व हीमोफीलिया दिवस इसी थीम पर म
जागरण संवाददाता, पानीपत : बदलाव के लिए अनुकूल..जी हां आज विश्व हीमोफीलिया दिवस इसी थीम पर मनाया जा रहा है। यह विरासत में मिला रक्तस्त्राव विकार है। चोट लगने या सर्जरी के बाद रक्तस्त्राव नहीं रुकना या खून का थक्का न जमना इस रोग की पहचान है। पानीपत की बात करें तो जिले में 22 मरीज हैं। इनमें से पांच तो ऐसे हैं जो हर सप्ताह इलाज के लिए सिविल अस्पताल पहुंचते हैं।
डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग ने बताया कि हीमोफीलिया दो वर्ग ए और बी होता है। हीमोफीलिया-ए एक सामान्य प्रकार है। इस रोग से ग्रस्त मरीज के शरीर में क्लोटिग फैक्टर-8 (खून में पाया जाने वाला एक प्रोटीन) पर्याप्त नहीं होता है। सिविल अस्पताल में रोगियों का इलाज निश्शुल्क है। क्लोटिग फैक्टर इंजेक्शन के जरिए रक्त में पहुंचाया जाता है। चोट की जगह पर्याप्त फैक्टर पहुंचते ही रक्तस्त्राव बंद हो जाता है। जिले में हीमोफीलिया-बी के मरीज पांच ही हैं। इन मरीजों में फैक्टर-9 की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है। हालांकि, दोनों स्थितियों में परिणाम एक जैसे होते हैं। महिलाएं हीमोफीलिया से ग्रस्त हों, ऐसी संभावना बहुत कम होती है। डा. गर्ग के मुताबिक हीमोफीलिया-ए के मरीज के शरीर में कई बार फैक्टर-8 के खिलाफ ही अवरोध कारक बन जाते हैं।
ऐसे मरीजों को फैक्टर-7 इंजेक्शन के जरिए लगाया जाता है। हालांकि, जिला में ऐसा कोई मरीज नहीं है। सिविल अस्पताल में इसका इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं है। प्रदेश सरकार जल्द ही फैक्टर-7 भी उपलब्ध करा सकती है।
कोरोना के कारण कार्यक्रम निरस्त
डा. गर्ग ने बताया कि विश्व हीमोफीलिया दिवस पर सिविल अस्पताल और सीएचसी-पीएचसी में शनिवार को जागरूकता कार्यक्रम होने थे। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कार्यक्रम निरस्त किए गए हैं। अब अस्पताल में जगह-जगह लगे स्पीकर के जरिए संदेश दिए जाएंगे।
हीमोफीलिया के लक्षण :
-दांतों-मसूड़ों से अधिक खून आना।
-चोट लगने पर खून लगातार बहना।
- शरीर के अलग-अलग जोड़ों में दर्द।
- शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन।
- मल या पेशाब में रक्त दिखना।
- शरीर में नीले रंग के निशान पड़ना।
- नाक से खून आना।
- कमजोरी या थकान महसूस करना।