भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभा चुकी है अंबाला एयरबेस की 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो
अंबाला एयरबेस पर तैनात 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो भारत-पाकिस्तान युुद्ध में अहम भूूमिका निभा चुकी है। इसी स्क्वाड्रन में राफेल विमानों को शामिल किया गया है।
अंबाला, [कुलदीप चहल]। सीमाओं पर तनातनी के बीच अंबाला एयरबेस पर राफेल की तैनाती पड़ोसी देशों के लिए बेचैनी का सबब बनी हुई है। यहां तैनात राफेल की कमान 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो को दी गई है। इस स्क्वाड्रन ने भारत-पाकिस्तान बीच हुए युद्ध में दुश्मन देश के छक्के छुड़ाए थे। स्क्वाड्रन के भंग होने के 13 साल के बाद इसका पुनर्गठन किया गया है। इस स्क्वाड्रन ने भारत-पाक युद्ध सहित 1961 में गोवा लिब्रेशन अभियान में भी अहम भूमिका निभाई थी।
कारगिल युद्ध में भी स्क्वाड्रन ने दुश्मनों के दांत किए थे खट्टे
स्क्वाड्रन के लीडर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को वीरवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया। मौके पर मौजूद वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने रक्षा मंत्री को स्क्वाड्रन के बारे में बताते हुए सदस्यों से परिचय कराया।
अंबाला एयरबेस पर वायुसेना के अफसरों व पायलटों के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लारेंस पर्ले।
स्क्वाड्रन के ग्रुप कैप्टन हरकीरत ङ्क्षसह को रक्षा मंत्री ने दिया शौर्य चक्र
17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन की स्थापना 1 अक्टूबर 1951 में हुई थी। 2006 में भंग होने से पहले यह स्क्वाड्रन मिग-21 विमानों का संचालन कर रही थी। इस स्क्वाड्रन का इतिहास काफी गौरवमयी रहा है। भारत-पाक युद्ध के बीच जहां स्क्वाड्रन ने दुश्मन देशों को धूल चटाई, वहीं 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भी इसके योगदान को नहीं भूला जा सकता है। कारगिल युद्ध में ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान स्क्वाड्रन बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थी। एयर चीफ मार्शल रहे बीएस धनोआ विंग कमांडर और इस स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर थे।
41 साल पुराना इतिहास दोहराया
लड़ाकू विमान राफेल के 29 जुलाई को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर आते ही 41 साल पुराना इतिहास फिर सामने था। 27 जुलाई 1979 को जगुआर फाइटर जेट की पहले खेप इंग्लैंड से अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंची थी।
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राफेल की गर्जना से गूंजा आसमान, तेजस ने भी किया रोमांचित
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में बृहस्पतिवार को राफेल की खूबियां देख लोग दंग रह गए। इस दौरान हल्के लड़ाकू विमान तेजस ने भी आसमान में करतब दिखाए। इसी तरह सारंग एक्रोबेटिक टीम ने आसमान में कलाबाजियां दिखाईं। रोमांच का यह सिलसिला करीब एक घंटे तक चलता रहा। अंबाला एयरबेस से बृहस्पतिवार सुबह 10:35 मिनट पर चार राफेल जहाजों ने उड़ान भरी। इनमें से एक ने वर्टिकल क्लाइंब (सीधे आसमान की ओर) उड़ान भरी। राफेल ने इस दौरान हवा में ही कलाबाजियां कीं।
एक समय तो राफेल ने 130 नॉटिकल माइल्स की स्पीड से उड़ान भरी तो लगा जैसे विमान आसमान में ही ठहर गया हो। इसके बाद स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस ने उड़ान भरी। तेजस की स्पीड और करतबों ने लोगों को खूब रोमांचित किया। तेजस ने भी एक समय सबसे कम गति 120 नॉटिकल माइल्स के साथ उड़ान भरी, लेकिन चंद सेकेंड में ही यह आसमान में ओझल हो गया। इसके बाद 11:10 बजे सारंग हेलीकाप्टर की एक्रोबेटिक टीम ने हवा में करतब दिखाए। एक बार तो जमीन से मात्र 50 मीटर की ऊंचाई से यह टीम निकली, जिसने सभी को रोमांचित कर दिया।
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